सरकारी तंत्र ने मानी हार, 23 दिन बाद बेटे के हाथ आया पिता का कंकाल
राज्य आपदा मोचक दल (एसडीआरएफ) की तीन टीमें 10 दिन की तलाश के बाद भी शव नहीं ढूंढ पाई थीं लेकिन बुजुर्ग के इकलौते बेटे ने आस नहीं छोड़ी।
कैलाश दुबे, दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह जिले के तेंदूखेड़ा में माहुला नदी के तेज बहाव में साइकिल सहित एक बुजुर्ग बह गए। उनके बेटे ने हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार 23 दिन बाद बेटे ने बुजुर्ग पिता का शव ढूंढ निकाला। राज्य आपदा मोचक दल (एसडीआरएफ) की तीन टीमें 10 दिन की तलाश के बाद भी शव नहीं ढूंढ पाई थीं, लेकिन बुजुर्ग के इकलौते बेटे ने आस नहीं छोड़ी। आखिरकार उसे पिता का शव कंकाल के रूप में मिला और उसने कपड़े से ही उन्हें पहचाना।
मप्र के दमोह में पुल से बहे बुजुर्ग का शव मिला
17 अगस्त को तेंदूखेड़ा के अजीतपुर गांव निवासी 50 वर्षीय झुर्रे अहिरवार माहुला नदी के तेज बहाव में साइकल समेत बह गए थे। उन्हें तलाशने के लिए सरकारी टीमों ने काफी मशक्कत की, लेकिन वह कामयाब नहीं रहीं, लेकिन उनका बेटा अशोक अहिरवार लगातार खोजबीन में जुटा रहा। उसका कहना था जब तक पिता का शव नहीं मिल जाता, वह उन्हें जीवित ही मानेगा। वह पिता को नदी के किनारों पर ढूंढता रहा।
10 दिन खोजने के बाद भी खाली हाथ रही थीं एसडीआरएफ टीमें
बुधवार को 23 दिन बाद पठाघाट से करीब 12 किलोमीटर दूर खर्राघाट के पास झाड़ियों में उसे पिता का शव मिला। कपड़ों से पिता के शव की पहचान करने के बाद बेटा फूट-फूटकर रोने लगा। उसके साथ खोजबीन में जुटे परिजनों को जोर से आवाज लगाते हुए कहने लगा कि पिताजी मिल गए। पुलिस ने शव का पंचनामा किया और पोस्टमॉर्टम कराने के बाद परिजनों को सौंप दिया। अंत्येष्टि के बाद बेटे ने कहा, 'मुझे तसल्ली है कि मैं पिता को मुखाग्नि दे सका।'