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मजदूरी कर रहीं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष, बोलीं-रिश्वत लेती तो चार पहियों की गाड़ी में घूमती

वे पांच साल पहले तक सरकारी गाड़ी में चलती थीं। आलीशान सरकारी बंगले में रहती थीं। जिला प्रशासन के अफसर उनके आगे- पीछे घूमकर निर्देशों का पालन करते थे। अब वे जनपद सदस्य होते हुए भी जंगल से लकड़ी लाकर गरीब आदिवासियों के बीच रहकर जिंदगी गुजार रही हैं।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 09:00 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 09:00 PM (IST)
मजदूरी कर रहीं पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष, बोलीं-रिश्वत लेती तो चार पहियों की गाड़ी में घूमती
श्योपुर की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष गुड्डी बाई आदिवासी

 दीपक दंडोतिया, श्योपुर। 'रिश्वतखोरी करती तो आराम से आलीशान बंगले में रहती, चार पहियों की गाड़ी में घूमती और बच्चे-बच्चियों के साथ मौज करती, लेकिन सीधेपन मे रह गई। न तो रुपये- पैसे कमा सकी और न ही पार्टी में कोई बड़ा पद ले पाई। अब पांच साल से मजदूरी करके और दूसरे के खेतों में बंटाई पर खेती कर पेट पाल रही हूं।' यह पीड़ा है श्योपुर की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष गुड्डी बाई आदिवासी की, जो जंगल से लकड़ि‍यां काटकर और गोली- बिस्किट की छोटी से दुकान चलाकर परिवार चला रही हैं। पद मिलते ही संपन्नता आ जाना आम बात है, लेकिन कुछ सीधे और ईमानदार लोग सामान्य ही रह जाते हैं। गुड्डी बाई की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।

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बड़ा पद जाते ही भूले पार्टी के पदाधिकारी

वे पांच साल पहले तक सरकारी गाड़ी में चलती थीं। आलीशान सरकारी बंगले में रहती थीं। जिला प्रशासन के अफसर उनके आगे- पीछे घूमकर निर्देशों का पालन करते थे। अब वे जनपद सदस्य होते हुए भी जंगल से लकड़ी लाकर और मेहनत-मजदूरी कर गरीब आदिवासियों के बीच रहकर जिंदगी गुजार रही हैं। वजह यही है कि, जिन्होंने हमदर्द बनकर उनके पद पर रहते फायदा लिया, उन्होंने 26 मार्च 2015 को कार्यकाल खत्म होते ही साथ छोड़ दिया। गुड्डी बाई ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है। वे वर्तमान में आदिवासी विकासखंड कराहल क्षेत्र के रानीपुरा-भोटूपुरा वार्ड से जनपद सदस्य हैं। इस पद पर सालभर पहले तक 1500 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता था, अब यह भी नहीं मिलता। वे मजदूरी करने को मजबूर हैं।

कई बड़े काम करवाने वालों ने भी छो़ड़ रखा है

अन्य महिलाओं के साथ जंगल से सिर पर लकड़ि‍यों को गट्ठर लेकर गांव सेसईपुरा लौट रहीं गुड्डी बाई बताती हैं कि जो लोग उनके खास बनकर आजू-बाजू घूमते थे। अधिकारियों से कहकर उनके काम करवा देती। इसके बदले न तो किसी से रुपये-पैसे लिए और न कभी किसी काम के लिए रिश्वतखोरी की। अब पद जाते ही उनकी स्थिति पहले जैसी ही हो गई।

80 हजार से ज्यादा आदिवासी फिर भी हाशिये पर समाज के नेता

श्योपुर और विजयपुर विधानसभा क्षेत्रों में 80 हजार से ज्यादा आदिवासी समाज के मतदाता हैं। इसी वजह से भाजपा हो या कांग्रेस आदिवासी नेताओं को चुनावी मैदान में उतारती रही हैं, लेकिन पद से हटते ही पार्टियां उन नेताओं को फिर मौका नहीं देती हैं। गुड्डी बाई जैसा हाल कांग्रेस की पूर्व जनपद अध्यक्ष पिं‍की आदिवासी का भी है। उन्हें भी पार्टी के नेताओं ने भी भुला दिया है।

श्‍योपुर के भाजपा जिला अध्‍यक्ष सुरेंद्र सिंह जाट ने कहा कि गुड्डी बाई आदिवासी जनपद सदस्य होने के अलावा जिला कार्यसमिति की सदस्य भी हैं। पार्टी ने उन्हें बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं किया है। हर कार्यक्रम में उन्हें बुलाया जाता है। वे कल भी हमारी सम्माननीय थीं और आज भी हैं।


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