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छह साल से एचआइवी पीड़ित बच्ची को पाल रहे नि:संतान दंपती, मौत भी हुई दूर

ममता की छांव और पिता का प्यार देने वाले यह दंपती एक निजी स्कूल में चपरासी हैं। बमुश्किल आठ-दस हजार रुपये महीने की आय है लेकिन संवेदनाओं के वे इतने धनी है कि बच्ची के इलाज में कहीं कोई कमी नहीं आने देते।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 01 Oct 2020 09:46 PM (IST)Updated: Thu, 01 Oct 2020 09:46 PM (IST)
छह साल से एचआइवी पीड़ित बच्ची को पाल रहे नि:संतान दंपती, मौत भी हुई दूर
ममता की छांव और पिता का प्यार देने वाले दंपती की फाइल फोटो।

शशिकांत तिवारी, भोपाल। दुनिया में गाड़ी, घोड़ा, बंगला से लेकर विलासिता के हर साधन का मोल है। कहीं-कहीं तो जीवन के भी दाम लग जाते हैं। अनमोल है तो मां की ममता। जिसे न कोई खरीद सका है न ही कहीं मोल मिलते सुना है। यही कारण है कि ममता के आगे मौत भी नहीं टिकती, वो काल से जीवन छीनने की ताकत रखती है। इसका प्रमाण सागर जिले की नौ साल की वो बच्ची है, जो जन्म से अपने साथ घातक बीमारी लेकर आई लेकिन ममता की छांव ने उसे अब तक हरा-भरा कर रखा है। 

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बच्ची के माता-पिता व भाई-बहन की एड्स से हो चुकी है मौत 

यहां बात हो रही है, सागर के एक ऐसे परिवार की जिसमें नौ साल की बच्ची जन्म से ही एचआइवी/एड्स रोग से पीड़ित है। ढाई साल की उम्र में उसे जन्म देने वाले माता-पिता इसी रोग का शिकार होकर दुनिया से जा चुके हैं। ऐसे कठिन समय में उसे भगवान के रूप में एक दंपती ने न सिर्फ अपनी स्नेह भरी गोद में उठाया बल्कि यह भी साबित किया कि इंसान धन-दौलत और महल अटारी से ही बड़ा नहीं होता, उसे दिल से बड़ा होना चाहिए।

ममता की छांव और पिता का प्यार देने वाले यह दंपती एक निजी स्कूल में चपरासी हैं। बमुश्किल आठ-दस हजार रुपये महीने की आय है लेकिन संवेदनाओं के वे इतने धनी है कि बच्ची के इलाज में कहीं कोई कमी नहीं आने देते। साथ ही उसे एक निजी स्कूल में पढ़ा भी रहे हैं। बच्ची स्कूल में बिना किसी भेदभाव के कक्षा तीसरी में पहुंच चुकी है। 

जब खून के रिश्ते भी पीछे हो गए 

दंपती ने बताया कि बच्ची को गोद लेने के लिए उन्हें अपने परिवार से भी लड़ाई मोल लेनी पड़ी, क्योंकि उनके उन्हें यह मंजूर नहीं था कि वह एचआइवी पीड़ित को गोद लें। एचआइवी संक्रमित होने के चलते पहले बच्ची के पिता की मौत हुई। इसके बाद एक भाई व एक बहन को भी इसी बीमारी ने लील लिया।

बच्ची ढाई साल की थी तभी मां की हालत बिगड़ने लगी। उसके मायके और ससुराल वालों में से कोई भी इस बच्ची को अपनाने को तैयार नहीं था। ऐसे में मां ने अपने एक परिचित से कहा कि इस बच्ची को कोई गोद लेना वाला मिले तो बताना। यह जानकारी इस दंपती को मिली तो अस्पताल पहुंच गए। अस्पताल में भर्ती मां ने रोते हुए अपनी बिटिया को इन लोगों को सौंप दिया। 

मप्र राज्य एड्स नियंत्रण समिति के उप संचालक प्रशांत मलैया ने कहा कि बच्ची को गोद लेकर दंपती ने मानवता की मिसाल पेश की है। नियमित तौर पर उसे इलाज के लिए एंटी रिट्रोवायरल थैरेपी सेंटर (एआरटी सेंटर) लेकर जा रहे हैं, जिससे बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। 


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