Move to Jagran APP

MP IT Raids : सिब्बल का सवाल- दिल्ली के अधिकारी ने इंदौर में कैसे मारा छापा

मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ द्वारा आयकर छापमारी के बाद हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दायर याचिका पर गुरुवार को बहस हुई।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 08:46 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 08:46 PM (IST)
MP IT Raids : सिब्बल का सवाल- दिल्ली के अधिकारी ने इंदौर में कैसे मारा छापा
MP IT Raids : सिब्बल का सवाल- दिल्ली के अधिकारी ने इंदौर में कैसे मारा छापा

इंदौर। (राज्‍य ब्यूरो)। मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ द्वारा आयकर छापमारी के बाद हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दायर याचिका पर गुरुवार को बहस हुई। वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने उनकी तरफ से बहस की। चार घंटे से ज्यादा चली बहस में सिब्बल ने क्षेत्राधिकार को लेकर सवाल उठाते हुए पूछा कि प्रिंसिपल डायरेक्टर ऑफ इनकम टैक्स (इंवेस्टीगेशन) ने किस अधिकार से इंदौर में छापामार कार्रवाई की थी।

loksabha election banner

करीब पांच घंटे चली बहस

आयकर विभाग के वकील ने जवाब दिया कि 2014 के नोटिफिकेशन के अनुसार प्रिंसिपल डायरेक्टर (इंवेस्टीगेशन) दिल्ली को पूरे देश में कार्रवाई का अधिकार है। सुबह 11.20 बजे शुरू हुई बहस शाम सवा चार बजे तक चली। याचिकाकर्ता ने याचिका में संशोधन प्रस्तुत करने के लिए सोमवार तक का समय ले लिया।

मालूम हो, आयकर विभाग ने कक्कड़ के इंदौर में स्कीम 74 स्थित निवास पर छापेमारी की थी। इसे अवैध घोषित करने की मांग करते हुए कक्कड़ ने याचिका दायर की है।

कार्रवाई राजनीति से प्रेरित

गुरुवार को जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस विवेक रूसिया की डिविजनल बेंच ने याचिका पर सुनवाई शुरू की। बहस शुरू करते हुए सिब्बल ने कहा कि क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर की गई कार्रवाई को अवैध घोषित किया जाए। उन्होंने कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि कक्कड़ मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी हैं।

प्रतिष्‍ठा धूमिल करने की कोशिश

उनकी प्रतिष्ठा धूमिल करने की दुर्भावना के साथ कार्रवाई की है। प्रिंसिपल डायरेक्टर (इंवेस्टीगेशन) न्यू दिल्ली को अधिकार नहीं है कि वह मप्र में किसी के यहां छापामार कार्रवाई करें। कार्रवाई के दौरान सीआरपीएफ के जवान तैनात किए गए थे। मप्र पुलिस से सहायता तक नहीं मांगी गई। इसके बाद आयकर विभाग की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय कुमार जैन ने बहस शुरू की।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि सितंबर 2014 में जारी नोटिफिकेशन के अनुसार आयकर विभाग को पूरे देश में कार्रवाई का अधिकार है। याचिकाकर्ता मप्र के पूर्व पुलिस अधिकारी रहे हैं। इसलिए मप्र पुलिस की मदद लेने के बजाय सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किया गया था।

विजयवर्गीय को प्रेस नोट जारी होने से पहले कैसे पता चला

सिब्बल ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम लेकर कहा कि आयकर विभाग द्वारा कार्रवाई के संबंध में प्रेस नोट जारी करने से पहले ही विजयवर्गीय को पता चल गया था कि प्रेस नोट में क्या है? उन्होंने इस संबंध में ट्वीट भी किया था। हालांकि विभाग के वकील ने इसका विरोध करते हुए जवाब दिया कि विभाग की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित नहीं थी। कोई राजनेता क्या कहता है, इससे विभाग को कोई मतलब नहीं होता। विभाग के अधिकारी कभी मीडिया को कोई जानकारी नहीं देते। मीडिया में खबरें कैसे आईं, यह उन्हें नहीं पता।

सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल करने का प्रयास

सिब्बल ने कहा कि कार्रवाई के दौरान कक्कड़ की निजता का हनन हुआ। इससे आम आदमी को उनकी आर्थिक स्थिति की जानकारी मिली जबकि कार्रवाई के दौरान विभाग को कोई काली कमाई मिली ही नहीं। इसके अलावा राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर कार्रवाई की गई थी। उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास किया गया। इसके जवाब में जैन ने कहा कि कार्रवाई से किसी की निजता प्रभावित नहीं हुई है। कार्रवाई के बाद विभाग ने प्रेस नोट जरूर जारी किया लेकिन इसमें कक्कड़ का नाम नहीं है। विभाग ने कभी मीडिया से बात नहीं की। साथ ही कार्रवाई राजनीति के प्रेरित नहीं है। याचिका में भी कक्कड़ ने किसी राजनीतिक दल को पक्षकार नहीं बनाया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.