सेना को रास नहीं आ रहा बैरियर का खुलना, उठने लगे हैं विरोध के स्वर
रक्षा मंत्रालय के आदेश पर देश के कैंटोनमेंट क्षेत्र की सेना द्वारा बंद की गई सड़कों को पुन खोलने का आदेश सेना और सेना के रिटायर्ड अफसरों को रास नहीं आ रहा।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। रक्षा मंत्रालय के आदेश पर देश के कैंटोनमेंट क्षेत्र की सेना द्वारा बंद की गई सड़कों को पुन खोलने का आदेश सेना और सेना के रिटायर्ड अफसरों को रास नहीं आ रहा। इस संदर्भ में सेना के अधिकारियों की पत्नियों व सदस्यों ने एक वेलफेयर सोसायटी के बैनर तले हस्ताक्षर कर व ट्वीट पर मुहिम छेड़ रखी है, जिसमें लिखा जा रहा है कि बैरियर खुलने से सेना के परिवार खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
कुछ दिन पूर्व रक्षा मंत्रालय के आदेश पर खोले गए देश के 62 कैंटोनमेंट के बैरियर से जनता ने थोड़ी राहत महसूस की ही थी कि स्थानीय लोगो ने कुछ जगहों पर बैरीकेड लगाकर पहले की तरह ही आने-जाने वालों की जांच शुरू करने का आरोप लगा दिया। गौरतलब है कि कई वर्षो से सेना के जवान आने जाने वालों की तलाशी लेकर व आइडी कार्ड देखकर ही अंदर घुसने देते थे व रात के समय तमाम बैरिकेड लगाकर आवाजाही रोक देते थे। इसे लेकर जनता काफी परेशान थी और देश के तमाम कैंटोनमेंट के सांसद व उपाध्यक्ष दिल्ली में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से मिले थे। इसके बाद देश के अनेकों रास्तों से बैरीकेट्स खोल निजात दिला दी गई थी।
बता दें कि हाल ही में जम्मू कश्मीर और कुछ और जगहों पर मिलिट्री बेस को निशाना बनाया गया था और आर्मी ऑफिसर्स के परिवार इससे परेशान थे।
वहीं, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और टॉप आर्मी ऑफिसर्स से सलाह लेने के बाद ही सरकार ने देशभर में मिलिट्री कैंटोनमेंट्स को आम जनता के लिए खोलने का फैसला लिया था। रक्षा मंत्री के मुताबिक कुल 850 सड़कें अलग-अलग कैंटोनेमेंट्स में बंद थीं जिसमें से 119 ऐसी थी जिन्हें बिना किसी आधिकारिक प्रक्रिया के बंद किया गया था।
गौरतलब है कि चार मई को रक्षा मंत्री ने सांसदों, कैंट बोर्ड के अधिकारियों और आर्मी ऑफिसर्स के साथ हुई एक मीटिंग में यह फैसला लिया था। इसमें से 80 सड़कों को खोला गया है जबकि 24 अभी बंद हैं। 15 सड़कों को सिर्फ आशिंक तौर पर खोला गया है। रक्षा मंत्री ने कहा था कि अगर सुरक्षा को लेकर कोई रिपोर्ट हो तो उसके आधार पर सड़क बंद की जा सकती है लेकिन उसके पहले स्थानीय अखबार और टेलीवीजन पर उसकी सूचना भी देनी होगी।