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पहाड़ों को किया जा रहा समतल, मोड़ी जा रही नदी की धारा

नवी मुंबई में बनाया जा रहा नया अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा, एयर ट्रैफिक का दबाव होगा कम।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 06 Dec 2017 11:45 AM (IST)Updated: Wed, 06 Dec 2017 11:45 AM (IST)
पहाड़ों को किया जा रहा समतल, मोड़ी जा रही नदी की धारा
पहाड़ों को किया जा रहा समतल, मोड़ी जा रही नदी की धारा

धनबाद (तापस बनर्जी)। मुंबई में बढ़ते एयर ट्रैफिक के दबाव को कम करने के लिए नवी मुंबई के उल्वे हिल में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बनेगा। इसमें सेंट्रल माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (सिंफर) धनबाद के वैज्ञानिक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार की निगरानी में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी निभा रहे सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ महाराष्ट्र लिमिटेड (सिडको) ने दो वर्ष में उल्वे हिल को समतल करने व उल्वे नदी की धारा को मोड़ने की कमान सिंफर धनबाद के वैज्ञानिकों को सौंपी है।

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क्या है चुनौती : निर्माण स्थल के आसपास के इलाकों मेंघनी आबादी बसी हुई है। पहाड़ों को समतल करने के लिए किये जाने वाले विस्फोट आबादी के लिए घातक साबित हो सकते हैं। आबादी को बिना हटाए और बिना कोई क्षति पहुंचाए पहाड़ को समतल किया जा रहा है। सिंफर टीम ने इस वर्ष जून माह से काम शुरू किया है। नियंत्रित विस्फोट की उच्च प्रौद्योगिकी (कंट्रोल्ड ब्लास्टिंग टेक्नोलॉजी) का प्रयोग कर वैज्ञानिक यहां एयरपोर्ट की बुनियाद रख चुके है।

2000 मी. ऊंची और 1200 मी. चौड़ी है उल्वे हिल : नवी मुंबई की उल्वे हिल उल्वे नदी के किनारे स्थित है। इसकी ऊंचाई 2000 मीटर और चौड़ाई 12 सौ मीटर है। आसपास गांव हैं। जहां घनी आबादी है। सिंफर की टीम रोज छह से आठ विस्फोट कर पहाड़ को चीर रही है। करीब 3.51 करोड़ क्यूबिक मीटर पहाड़ी चट्टानों को तोड़ा जाना है। नियंत्रित विस्फोट से चट्टानों के 300 से 600 एमएम आकार के छोटेछोटे टुकड़े किये जा रहे हैं। इन टुकड़ों का समतलीकरण में प्रयोग होगा। कंट्रोल्ड ब्लास्टिंग टेक्नोलॉजी में विस्फोट के बाद पत्थर छिटककर दूर नहीं जाते। 

सालाना एक करोड़ यात्री करेंगे इस्तेमाल

- दो हजार मी. है उल्वे हिल की ऊंचाई

- समतलीकरण के बाद केवल आठ मीटर रह जाएगी ऊंचाई 

- मोड़ दी जाएगी उल्वे नदी की धारा

एयरपोर्ट पर दुनिया देखेगी कमाल

यह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट किन विपरीत परिस्थितियों में विकसित किया गया। पहले यहां का नजारा कैसा था और नवनिर्माण के बाद का दृश्य कैसा है। क्या चुनौतियां सामने थीं। वैज्ञानिकों ने कैसे इस क्षेत्र को समतल किया। कैसे नदी की धारा को मोड़ा। निर्माण से जुड़े सभी विशेष पहलुओं को दर्शाने वाली एक लघुफिल्म भी तैयार की जा रही है। नया हवाईअड्डा बन जाने के बाद वहां लगाई जाने वाली बड़ी स्क्रीन पर फिल्म को दिखाया जाएगा, ताकि हवाई सफर करने वाले देशी-विदेशी यात्री कमाल के नवनिर्माण की एक झलक देख सकें।

सिंफर वैज्ञानिकों ने पूर्व में कोंकण रेलवे में पहाड़ का सीना चीर कर रेलवे लाइन बिछाई थी। वहां पहाड़ से गिरने वाली चट्टानों के खतरे का भी स्थायी समाधान निकाला था। नवी मुंबई का एयरपोर्ट प्रोजेक्ट चुनौतीपूर्ण होने के साथ गौरवशाली है। आशा है हमारे वैज्ञानिकों की टीम निश्चित समय में प्रोजेक्ट पूरा करेगी। 

डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, निदेशक, सिंफर

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