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MotiLal Vora passes Away: कांग्रेस ने खो दिया अपना अनमोल 'मोती', पत्रकारिता से की थी सार्वजनिक जीवन की शुरुआत

कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति के कद्दवार नेता मोती लाल वोरा बाबूजी का 93 वर्ष की उम्र में सोमवार को निधन हो गया। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और अविभाजित मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे वोरा ने ओखला (दिल्ली) स्थित फोर्टिस एस्कार्ट अस्पताल में अंतिम सांस ली।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2020 09:50 PM (IST)Updated: Mon, 21 Dec 2020 11:05 PM (IST)
MotiLal Vora passes Away: कांग्रेस ने खो दिया अपना अनमोल 'मोती', पत्रकारिता से की थी सार्वजनिक जीवन की शुरुआत
कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति के कद्दवार नेता मोती लाल वोरा 'बाबूजी'

रायपुर, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति के कद्दवार नेता मोती लाल वोरा 'बाबूजी' का 93 वर्ष की उम्र में सोमवार को निधन हो गया। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और अविभाजित मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे वोरा ने ओखला (दिल्ली) स्थित फोर्टिस एस्कार्ट अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन पर छत्तीसगढ़ में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को दुर्ग (छत्तीसगढ़) में किया जाएगा। उनके निधन पर कांग्रेस की अंतरिम राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राज्यपाल अनुसुईया उईके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह समेत देश और प्रदेश के अनेक नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।

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कांग्रेस मुख्यालय में दी जाएगी श्रद्धांजलि

वोरा का पार्थिव शरीर विशेष विमान से मंगलवार सुबह 10 बजे रायपुर लाया जाएगा और अंतिम दर्शन के लिए कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में रखा जाएगा। उनकी शव यात्रा दुर्ग स्थित निवास से निकलेगी तथा शाम चार बजे के बाद राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।

अक्टूबर में उड़ी थी निधन की अफवाह

वोरा दो महीने पहले अक्टूबर में कोरोना पाजिटिव हो गए थे। इस दौरान उनके निधन की अफवाह भी उड़ गई थी। उस समय कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता ने ट्वीट करके उनके निधन की जानकारी दी थी। बाद में परिवार वालों ने स्पष्ट किया था कि वह कोरोना के इलाज के लिए दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती हैं।

राजस्थान के नागौर में हुआ था जन्म

मोती लाल वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1928 को राजस्थान के नागौर में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहनलाल वोरा और मां का नाम अंबा बाई था। उनका विवाह शांति देवी वोरा से हुआ था। उनकी चार बेटियां और दो बेटे हैं।

1968 में चुने गए पार्षद

वोरा ने पत्रकारिता से सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की थी। वर्ष 1968 में वे दुर्ग नगर निगम में पार्षद निर्वाचित हुए। वर्ष 1972 में पहली बार कांग्रेस से विधायक बने। इसके बाद 1977 और 1980 में भी विधायक निर्वाचित हुए। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया। वह दो बार अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उत्तरप्रदेश के राज्यपाल और केंद्रीय मंत्री के रूप में भी अपने दायित्वों का निर्वहन किया।

अभिभावक के चले जाने जैसा है : बघेल

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि कल ही बाबूजी वोरा का 93वां जन्मदिन मनाया गया था। किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि आज ऐसी दुखद खबर सुनने को मिलेगी। उनका जाना न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे कांग्रेस परिवार के लिए एक अभिभावक के चले जाने जैसा है। वह आजीवन एक समर्पित कांग्रेसी बने रहे। उनकी जगह कभी नहीं भरी जा सकेगी। मैंने अपनी राजनीति का ककहरा जिन लोगों से सीखा, उनमें बाबूजी एक थे। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे और परिवार को इस कठिन समय में दुख सहने की शक्ति प्रदान करे।

राज्यपाल ने दुख व्यक्त किया

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने वोरा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उइके ने कहा कि वोरा ने सार्वजनिक जीवन में उच्च मानदंड स्थापित किए। वे मृदुभाषी और सरल, सौम्य व्यक्तित्व के धनी थे। वे अंतिम समय तक समाज के लिए कार्य करते रहे और उनके निधन से देश को अपूर्णीय क्षति हुई है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। उन्होंने उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।

गांधी परिवार की तीन पीढि़यों के साथ किया काम

वोरा कांग्रेस की राजनीति के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने गांधी परिवार की तीन पीढि़यों के साथ काम किया है। उन्होंने इंदिरा गांधी के कार्यकाल में राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हुए। इसके बाद वे राजीव गांधी के साथ भी काम किए। गांधी परिवार के करीबी नेताओं में शामिल वोरा सोनिया गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने के दौरान पूरे समय कोषाध्यक्ष रहे। राहुल गांधी के कार्यकाल में भी वे लंबे समय तक उस पद पर बने रहे।

21 से 23 दिसंबर तक रहेगा राजकीय शोक

वोरा के निधन पर छत्तीसगढ़ में 21 से 23 दिसंबर तक राजकीय शोक रहेगा। इस दौरान सभी सरकारी भवन और जहां पर नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाते हैं, वहां राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे। सरकार के स्तर पर कोई मनोरंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे।


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