मदर टेरेसा की संस्था ने दस साल में लिया नौ अरब का विदेशी फंड
फंड का यह आंकड़ा कोलकाता रीजन का है, जिसके अंतर्गत झारखंड, पश्चिम बंगाल व बिहार की मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थाएं आती हैं।
रांची [दिलीप कुमार]। नवजात की तस्करी के बाद चर्चा में आई मदर टेरेसा की संस्था 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' का एक और कारनामा उजागर हुआ है। इस संस्था ने वित्तीय वर्ष 2006-07 से 2016-17 के बीच यानी 10 साल के भीतर नौ अरब 17 करोड़ 62 लाख रुपये का विदेशी फंड लिया है। यह रकम विदेशी मुद्रा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत मिली है। फंड का यह आंकड़ा कोलकाता रीजन का है, जिसके अंतर्गत झारखंड, पश्चिम बंगाल व बिहार की मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थाएं आती हैं।
अब झारखंड सरकार मिशनरीज ऑफ चैरिटी सहित कई अन्य एनजीओ के एफसीआरए को रद करने के लिए केंद्र से अनुशंसा करने जा रही है। इस फंड के दुरुपयोग के मामले की भी जांच होगी। एफसीआरए के दुरुपयोग में यह प्रावधान है कि एक करोड़ से कम राशि वाले मामले की जांच राज्य पुलिस की सीआइडी करती है, जबकि एक करोड़ से अधिक की राशि वाले मामले की जांच सीबीआइ करती है।
किस मद में मिलता है एफसीआरए
- महिला सशक्तीकरण की दिशा में कार्य करने वाले एनजीओ को।
- मानवाधिकार पर कार्य करने वाले एनजीओ के लिए।
- शिक्षा व समाज सुधार संबंधी कार्य कर रहे एनजीओ के लिए।
खुफिया एजेंसी भी कर चुकी है सरकार को रिपोर्ट
एफसीआरए रद करने के लिए पूर्व में भी सरकार की खुफिया एजेंसी सरकार को रिपोर्ट कर चुकी है। गत वर्ष खुफिया एजेंसी ने सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में यह पर्दाफाश किया था कि वित्तीय वर्ष 2012-2013 से 2014-2015 तक तीन वर्ष के भीतर 100 से ज्यादा ईसाई मिशनरियों ने 310 अरब का विदेशी फंड लिया। ऐसी संस्थाओं के एफसीआरए को रद करने की अनुशंसा की गई थी, जो अब तक लंबित है।
18 हजार एनजीओ के लाइसेंस रद
गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 2011 से 2017 के बीच 18868 एनजीओ के पंजीयन दर किए गए हैं। गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार फॉरेन कंट्रीब्यूशन (रेग्युलेशन) एक्ट-2010 के तहत किसी व्यक्ति, एसोसिएशन और कंपनी को मिलने वाली विदेशी मदद या फंड के लिए रेग्युलेशन का प्रावधान है। इस फंड का इस्तेमाल ऐसे कार्यो में नहीं होना चाहिए, जो देशहित के खिलाफ हो।
एफसीआरए का उपयोग ईसाई मिशनरियां धर्मातरण के लिए करती हैं। मच्छरदानी, बिस्कुट, इलाज के नाम पर भोलेभाले आदिवासियों को ठगा जा रहा है और उन्हें ईसाई बनाया जा रहा है। ऐसे संगठनों का एफसीआरए रद करने के लिए सरकार को कई बार लिख चुके हैं।
-बबलू मुंडा, कार्यकारी अध्यक्ष, केंद्रीय सरना समिति।