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मां की ममता 'पॉजिटिव', मजबूरियों के पालने में मासूम; पॉजिटिव माता-पिताओं के साथ अस्पताल में रह रहे शिशु

ममता की मजबूरी ऐसे है कि कोरोना होने के बाद भी माता-पिता बच्चों को अपनी आंखों से दूर नहीं होने देना चाहते। उनका कहना है कि यदि बच्चे साथ रहेंगे तो वह जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 11:50 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 11:53 PM (IST)
मां की ममता 'पॉजिटिव', मजबूरियों के पालने में मासूम; पॉजिटिव माता-पिताओं के साथ अस्पताल में रह रहे शिशु
मां की ममता 'पॉजिटिव', मजबूरियों के पालने में मासूम; पॉजिटिव माता-पिताओं के साथ अस्पताल में रह रहे शिशु

शशिकांत तिवारी, भोपाल। कोरोना महामारी लोगों को तरह-तरह की वेदना दे रही है। कभी कोरोना से पिता की जिंदगी जाने के बाद विदेश में रह रहे बेटे-बेटियां वीडियो कॉलिंग से श्रद्धांजलि देते हैं। तो कहीं माता-पिता की अर्थी लेने से ही बेटे इन्कार कर देते हैं। ऐसी विषम स्थिति में भी कुछ संवेदनाएं जिंदा हैं। भोपाल के अस्पतालों में 11 ऐसे मामले देखने को मिले जब माता-पिता को कोरोना ने जकड़ा तो बच्चे भी उनके साथ अस्पताल में रहने लगे।

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भोपाल के सरकारी होम्योपैथी कॉलेज में नौ नौनिहालों व गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के दो बच्चों की दर्द भरी दास्तान देखने को मिल रही है। यह पूरी व्यवस्था पर सवाल उठाती है। ये नौनिहाल कोरोना पॉजिटिव नहीं हैं, फिर भी कोरोना पॉजिटिव माता-पिता के साथ रहने को मजबूर हैं। यह मजबूरी ममता की भी है और प्रशासन की भी। ममता की मजबूरी ऐसे है कि कोरोना होने के बाद भी माता-पिता बच्चों को अपनी आंखों से दूर नहीं होने देना चाहते। उनका कहना है कि यदि बच्चे साथ रहेंगे तो वह जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे।

इस मामले में राज्य और केंद्र सरकार की गाइडलाइन है मौन

वहीं प्रशासन की मजबूरी यह है कि ऐसे बच्चों के लिए कोई इंतजाम ही नहीं है। राज्य और केन्द्र सरकार की कोरोना गाइडलाइन भी इस मामले में मौन है। छह माह से दो साल के बच्चे होम्योपैथी कॉलेज कोविड सेंटर में बहुत हल्के या सामान्य लक्षण वाले 46 कोरोना मरीजों को भर्ती किया गया है। इनमें नौ दंपती ऐसे हैं जिनके छह महीने से दो साल तक के बच्चे हैं। इसी तरह से जीएमसी में कोरोना पॉजिटिव एक दंपती के साथ उनके दो और पांच साल के दो बच्चे रह रहे हैं। जीएमसी की शिशु रोग विभाग की एचओडी डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसे बच्चों के रहने की व्यवस्था के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग से बात हुई। एक-दो दिन में इंतजाम हो जाएगा। 

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को दे रहे होम्योपैथी दवा

होम्योपैथी कॉलेज के प्राचार्य के डॉ. एसके मिश्रा ने बताया कि छह माह से दो साल तक के बच्चे माता-पिता के साथ कोरोना वार्ड में रह रहे हैं। उन्हें संक्रमण न हो, इसलिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए होम्योपैथी दवा आर्सेनिकम एल्ब-30 दी जा रही है। मरीजों को 15 होम्योपैथिक दवाओं की रेमेडी दे रहे हैं। बच्चों के लिए दूध भी अस्पताल से दे रहे हैं।

सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि शिशुओं को अलग नहीं रख सकते 'बहुत छोटे बच्चों को माता-पिता से अलग नहीं रख सकते हैं। संक्रमित माता-पिता के बच्चों को अलग रखने के संबंध में अभी तक कोई गाइडलाइन भी नहीं आई है।


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