अंतरिक्ष में भारत की ताकत, अब इस मिशन में जुटा देश; जानें- क्या होगा प्रभाव
इसरो अपने अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-2 के लिए पूरी तैयारी कर चुका है।
नई दिल्ली,जेएनएन। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-2 को सफल बनाने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता है। इसरो ने अपने पहले चंद्र मिशन में स्पेसक्राफ्ट के साथ पीएसएलवी रॉकेट को चंद्रमा की कक्षा में लैंड किया था। लेकिन इस बार भारी पेलोड उठाने वाला जीएसएलवी एमके द्वितीय 2390 किलोग्राम वजन वाले अंतरिक्ष यान का शुभारंभ करेगा क्योंकि मॉड्यूल एक ऑर्बिटर, एक रोवर और लैंडर को चाँद तक ले जाएगा।
इसरो के अध्यक्ष डॉ. सिवान ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में मिशन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चंद्रयान -2 चुनौतीपूर्ण मिशन है , क्योंकि हम पहली बार एक कक्षा, एक लैंडर और एक रोवर को चंद्रमा पर ले जाएंगे। लांच अप्रैल में होना है जिसमें कुछ ही समय बचा है। इसे श्रीहरिकोटा से इसे लॉन्च किया जाएगा और लॉन्च होने के एक से दो महीनों में यह यान चंद्रमा की कक्षा तक पहुंच जाएगा। पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 3,82,000 किलोमीटर दूर है।
एेसे काम करेगा चंद्रयान-2
डॉ. सिवान ने बताया कि चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के बाद, लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंडिंग करेगा। लैंडर के अंदर लगे 6-पहिए वाले रोवर अलग हो जाएंगे और चंद्रमा की सतह पर आगे बढ़ेंगे। रोवर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह चंद्रमा की सतह पर 14 दिन तक रह पाएगा और 150-200 किमी तक चलने में सक्षम होगा।
इसरो के चेयरमैन ने कहा, 'रोवर फिर 15 मिनट के भीतर चंद्रमा की सतह के आंकड़े और छवियों को पृथ्वी पर भेज देगा। 14 दिनों के बाद रोवर स्लीप मोड में जाएगा। हम उम्मीद कर रहे हैं कि एक बार फिर रोवर काम करेगा जब चांद पर धूप होगी और उसके सोलर सेल दोबारा रिचार्च होंगे।'
चल रही है तैयारी
चांद के घटकों के बारे में डॉ. सिवान ने बताया कि चंद्रयान के तीन घटक लगभग तैयार हैं। अभी उनके एकीकरण का काम चल रहा है, जिसके बाद उनका टेस्ट होगा। लॉन्च की तारीख विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे पृथ्वी के संबंध में चंद्रमा की सापेक्ष स्थिति। जीएसएलवी लॉन्च होने के बाद यह अंतरिक्ष यान को 170 किमी x 20,000 किमी अण्डाकार कक्षा में रखेगा। कक्षा से शिल्प को थ्रॉस्टर्स फायरिंग द्वारा चंद्र कक्षा की ओर ले जाया जाएगा। इसलिए हमें उम्मीद है कि वह दो महीने में चंद्र की कक्षा तक पहुंच जाएगा।
चंद्रयान-2 के बारे में खास बातें
-चंद्रयान-2 का कुल भार 3,290 किलोग्राम है।
-यान एक से दो महीने में चांद तक पहुंचेगा।
-चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के बाद, लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंडिंग करेगा।
-लैंडर के अंदर लगे 6-पहिए वाले रोवर अलग हो जाएंगे और चंद्रमा की सतह पर आगे बढ़ेंगे।
-रोवर में इतनी क्षमता है कि वह चांद पर 14 दिन रुक सकता है और 150-200 किमी. तक चल सकता है।
-रोवर चांद की सतह का परीक्षण करेगा और वहां से 15 मिनट में तस्वीरें धरती पर भेजेगा।
-14 दिनों के बाद रोवर स्लीप मोड पर चला जाएगा और सूर्य का प्रकाश पड़ने पर दोबारा काम करने लगेगा।