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इराक में मारे गए 39 भारतीयों के पार्थिव अवशेष 2 अप्रैल को लौट सकते हैं भारत

इराक में 2014 में मारे गए 39 भारतीयों के पार्थिव अवशेष अगले महीने भारत लाए जा सकते हैं। इसके लिए केंद्रीय मंत्री वीके सिंह 1 अप्रैल को इराक जाएंगे और वहां से इन भारतीयों के अवशेषों को भारत लाया जाएगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 30 Mar 2018 11:29 AM (IST)Updated: Fri, 30 Mar 2018 11:38 AM (IST)
इराक में मारे गए 39 भारतीयों के पार्थिव अवशेष 2 अप्रैल को लौट सकते हैं भारत
इराक में मारे गए 39 भारतीयों के पार्थिव अवशेष 2 अप्रैल को लौट सकते हैं भारत

नई दिल्ली (जेएनएन)। इराक में 2014 में मारे गए 39 भारतीयों के पार्थिव अवशेष अगले महीने भारत लाए जा सकते हैं। इसके लिए केंद्रीय मंत्री वीके सिंह 1 अप्रैल को इराक जाएंगे और वहां से इन भारतीयों के अवशेषों को भारत लाया जाएगा। हालांकि, इसे लेकर फिलहाल विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है लेकिन मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि वीके सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है जो पहले भी इन भारतीयों की तलाश को लेकर इराक का दौरा कर चुके हैं।

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इससे पहले पिछले हफ्ते ही वीके सिंह ने कहा था कि मारे गए 39 भारतीयों के अवशेष भारत लाने में 8-10 दिनों का वक्त लग सकता है। इसके लिए कुछ लीगल प्रक्रियाएं होती हैं जिन्हे पूरा करना होता है और इसके बाद ही हम उन्हें भारत ला सकेंगे।

रेत के पहाड़ के नीचे थी कब्रें, ऐसे जनरल वीके सिंह ने खोजा भारतीयों का सुराग

तीन साल पहले इराक में गायब हुए 39 भारतीयों की मौत हो गई है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में एक बयान देकर इनकी मौत की जानकारी दी। ये भारतीय इराक की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे थे और पिछले तीन साल से इनकी मौत के सबूत नहीं मिल पा रहे थे। इसे हासिल करने के लिए केंद्र सरकार ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अगुवाई में तीन साल तक खोजी अभियान चलाए रखा और अब जाकर इसका खुलासा हुआ है कि मोसुल से गायब हुए 39 भारतीयों को आंतकी संगठन आईएसआईएस ने मारा डाला है।

अब सरकार ने भारतीयों के शव विशेष विमान से वतन लाने की तैयारी कर रही है। इसकी कमान भी विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह के हाथो में रहेगी, जिन्होंने 39 भारतीयों की मौत का सुराग हासिल करने के लिए दिन-रात एक कर दिया था। मरने वालों में से 31 लोग पंजाब के हैं। वहीं बाकी बिहार, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल के हैं।

तीन साल चला खोजी अभियान

ये भारतीय इराक के मोसुल शहर में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे थे। 2015 के जून महीने में 39 भारतीयों को आईएसआईएस ने बंधक बना लिया था। मगर न तो इनकी लाश और न ही मौत से जुड़े सबूत मिल पा रहे थे। खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभियान जारी रखने के लिए कहा था। इसलिए विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह सुराग ढूंढने में जुटे थे। मगर तलाश आसान नहीं थी। एक तरफ बर्बाद हो चुका मोसुल शहर था, तो दूसरी तरफ इंसानी खून का प्यास आंतकी संगठन आईएसआईएस। इन चुनौतियों से लड़कर विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने न सिर्फ 39 भारतीयों की मौत के सुराग हासिल किए। बल्कि डीएनए टेस्ट के जरिए उनकी पहचान भी सुनिश्चित कराई।

ऐसे मिले 39 भारतीयों के पार्थिव शरीर

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में इन भारतीयों की तलाश को लेकर चलाए गए अभियान की पूरी जानकारी दी। कैसे उनके पार्थिव शरीर ढूंढे गए, कैसे विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने एक रात जमीन पर सोकर काटी और कैसे इराक के Martyr foundation ने रिश्तेदारों से मिले नमूनों के आधार पर पार्थिव शरीर से डीएनए सैंपल मैच किए। 


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