लॉकडाउन की वजह से पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को ज्यादा गंवाना पड़ा अपना रोजगार
अनौपचारिक क्षेत्र से जुड़े हजारों लोगो को कोविड-19 की वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान सबसे बुरा वक्त देखना पड़ा। इस दौरान पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं का अधिक रोजगार छूटा।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। भारत में कोविड-19 महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन में हजारों लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। इसका खामियाजा अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों पर भी पड़ा है। लॉकडाउन के दौरान इस क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा अधिक रोजगार गंवाना पड़ा है। एक्शन एड एसोसिएशन द्वारा कराए गए एक सर्वे में ये बात सामने आई है कि लॉकडाउन के दौरान जहां 79.23 फीसद महिलाओं को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा, वहीं 51.6 फीसद पुरुषों की नौकरी भी चली गई। इस सर्वे को देश के बीस राज्यों में किया गया। इस सर्वे में ये भी सामने आया है कि लॉकडाउन के दौरान इनमें से कई को मासिक सैलरी भी नहीं मिली। मई से जून 2020 के बीच किए गए इस सर्वे में 11537 लोगों से बात कर जानकारी हासिल की गई।
लॉकडाउन की इस अवधि के दौरान घरों में काम करने वाली 85 फीसद महिलाओं को संक्रमण से सुरक्षा के मद्देनजर काम से हटा दिया गया। 68 फीसद महिलाओं का कहना था कि इस दौरान उन्हें घर का खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ा। सर्वे के मुताबिक महामारी की वजह से लॉकडाउन के बाद जब इन लोगों की नौकरियां छूट गईं और इस दौरान आमदनी का कोई भी जरिया नहीं मिला तो इन्होंने घर खर्च कमी करके और अपनी बची जमापूंजी की मदद से जीवनयापन किया। इस दौरान 99 फीसद लोगों की ये पूंजी भी खत्म हो गई।
इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक घरों में काम करने वालों में 88 फीसद शहरी क्षेत्रों में और 11.5 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। ये सभी लगभग प्रवासी हैं। लॉकडाउन से पहले करीब 90 फीसद महिलाएं और 85 फीसद पुरुष अनौपचारिक क्षेत्र से जुड़े विभिन्न कार्यों से जुड़े थे। मई के मध्य तक 79 फीसद महिलाओं ने बताया कि उनका रोजगार छूट गया था। वहीं इसी दौरान में रोजगार खोने वाले 75 फीसद पुरुष थे। सर्वे के दौरान 1788 महिलाओं ने अपने असल रोजगार की भी जानकारी दी। घरों में काम करने वाले 401 और कृषि से जुड़े 409 लोगों को इस दौरान बेहद कठिन दौर से गुजरना पड़ा। इसमें खेतों में काम करने वाले, बीड़ी वर्कर भी शामिल हैं।
लॉकडाउन के मुश्किल दौर में जहां 52 फीसद महिलाओं को तनख्वाह नहीं मिली वहीं करीब 46 फीसद पुरुष भी इससे वंचित रहे। करीब 16 फीसद लोगों को इस दौरान उनकी आय का कुछ हिस्सा मिला वहीं 32 फीसद महिलाओं को और 37 फीसद पुरुषों को इस दौरान पूरी सैलरी अदा की गई। इस दौरान सर्वे में शामिल लगभग सभी लोगों के पास में आधार कार्ड मौजूद था लेकिन इसके बाद भी सरकारी योजनाओं के लाभ उठाने वालों में इनकी सख्या काफी कम थी। इनमें से 60 फीसद के पास राशन कार्ड था। इनमें से 10 फीसद ने उज्जवला स्कीम, 19 फीसद ने जनधन योजना के तहत लाभ हासिल किया था।