खाड़ी देशों तक पहुंची बुरहानपुर के केले की मिठास, 20 हजार किसान कर रहे इसकी खेती; बनाया आय का साधन
उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक आरएनएस तोमर ने बताया कि जिले में केला उत्पादन बढ़ने के साथ ही इससे दूसरे उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। जिससे लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। केला चिप्स और केला फाइबर को लेकर तेजी से काम हो रहा है।
बुरहानपुर, संदीप परोहा। केला उत्पादन के लिए प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले की ख्याति अब खाड़ी देशों तक पहुंच चुकी है। सोलह लाख टन केले का प्रतिवर्ष उत्पादन करने वाले इस जिले से 25 हजार टन केला दुबई, ईरान, बहरीन सहित अन्य देशों को एक्सपोर्ट हो रहा है। बुरहानपुरी केले की मांग बढ़ने का कारण इसकी खास गुणवत्ता और जैविक खेती है। जिले में मुख्य रूप से ग्रैंड-9, बसराई, श्रीमंती और हर्षाली किस्म के केले का उत्पादन किया जाता है, लेकिन एक्सपोर्ट ग्रैंड-9 किस्म होती है। इसकी खासियत बडा आकार और मिठास है। इसके अलावा इस किस्म का केला लंबे समय तक खराब नहीं होता। निर्यात करने वाले किसान राजेश पाटिल, अमोल मावले, नीलेश चौधरी, रवींद्र पाटिल, योगेश महाजन, रामदास पाटिल आदि का कहना है कि विदेश भेजे जाने वाले अच्छी गुणवत्ता के केले के अच्छे दाम मिलने से आर्थिक संपन्न्ता कई गुना बढ़ गई है। अब उन्हें खेती के लिए ऋण लेने की जरूरत नहीं पड़ती।
तीन वर्ष से बढ़ रहा उत्पादनः उपसंचालक उद्यानिकी आरएनएस तोमर के मुताबिक तीन वर्ष से जिले में केला उत्पादन बढ़ रहा है। वर्ष 2020-21 में 20,522 हेक्टेयर में 14.36 लाख टन त्पादन हुआ था। वर्ष 2021-22 में रकबा बढ़कर 22,450 हेक्टेयर और उत्पादन 15.71 लाख टन हो गया। चालू वित्तीय वर्ष में करीब 25 हजार हेक्टेयर में बीस हजार से ज्यादा किसानों ने केले की फसल लगाई है। इस वर्षसकल उत्पादन 16 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है। खाड़ी देशों में 6,000 टन से निर्यात की शुरुआत की गई थी जो अब 25 हजार मीट्रिक टन तक पहुंच गई है।
सहायक उत्पादों से रोजगार के अवसर भी बढ़ेः यहां से केले का उत्पादन बढ़ने और निर्यात होने से जहां एक ओर किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है, वहीं केले के सहायक उत्पादों और प्रोसेसिंग यूनिटों से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना में भी इसे शामिल किया है। इसके तहत केला चिप्स तैयार करने के लिए युवाओं को ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। उद्यानिकी विभाग ने अब तक 40 यूनिट स्वीकृत कराई हैं। इनमें से 17 यूनिटों में चिप्स का उत्पादन भी शुरू हो गया है। अभी इनमें रोजाना करीब 20 क्विंटल चिप्स ही तैयार हो रहा है। इसके अलावा केले को पकाने के लिए जिले में 26 राइपनिंग चेंबर स्थापित हो चुके हैं। प्रत्येक इकाई में पंद्रह से बीस लोगों को रोजगार मिल रहा है। केला रखने के लिए दो कोल्ड स्टोरेज और केले के रेशे से उत्पाद बनाने के लिए एक बनाना फाइबर एक्सटेंशन यूनिट भी स्थापित है।
बनाया आय का साधनः खामनी गांव के निवासी किसान संदीप महाजन ने केला चिप्स यूनिट स्थापित की है। वह बताते हैं कि केले के पत्ते व केला चिप्स व्यवसाय से उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है। प्रतिदिन 80 से 90 किलो केला चिप्स बनाकर 150-160 रुपये प्रति किलो की दर से जिले व जिले के बाहर पुणे, चंडीगढ, दिल्ली व महाराष्ट्र के कुछ जिलों में बेच रहे हैं। लागत राशि काटकर प्रतिदिन शुद्ध मुनाफा तीन से चार हजार रुपये हो जाता है। अब वह आठ लाख रुपये वार्षिक तक कमा रहे हैं।
मप्र की पहली बनाना फाइबर इकाई स्थापितः एक जिला एक उत्पाद के तहत केले से फाइबर तैयार करने वाली मप्र की पहली इकाई बुरहानपुर में स्थापित की गई है। मंगलम कल्पतरू इंडस्ट्रीज शुरू करने वाले मेहुल श्राफ ने बताया कि इस इकाई में बनाना फाइबर तैयार किया जाता है। इसका उपयोग पेपर और टेक्सटाइल उद्योग में होता है। इसके अलावा हस्तशिल्प भी तैयार किए जा रहे हैं। इस रेशे से पूजा की झाड़ू, योग करने वाली मैट, आसन, घर में सजावट के लिए उपयोग होने वाले प्लांटर तैयार होते हैं। केले के अर्क को मिलाकर हाल ही में नया उत्पाद आर्गेनिक लिक्विड न्यूट्रिएंट तैयार किया गया है। इसका उपयोग खेतों की उर्वरता बढ़ाने में किया जा रहा है। इसमें लिविंग बैक्टीरिया पाया जाता है। (बुरहानपुर से संदीप परोहा)
उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक आरएनएस तोमर ने बताया कि जिले में केला उत्पादन बढ़ने के साथ ही इससे दूसरे उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। जिससे लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। केला चिप्स और केला फाइबर को लेकर तेजी से काम हो रहा है।