Move to Jagran APP

चार साल में वरुणा कॉरिडोर में बह गए सवा सौ करोड़ रुपये, अब हो रही जांच की मांग

वरुणा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के नाम पर बनाई गई करोड़ों रुपये की वरुणा कारीडोर प्रोजेक्ट में कई बुनियादी खामियां हैं। जिसकी छानबीन होनी चाहिए।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 26 Jan 2019 04:00 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jan 2019 04:00 PM (IST)
चार साल में वरुणा कॉरिडोर में बह गए सवा सौ करोड़ रुपये, अब हो रही जांच की मांग
चार साल में वरुणा कॉरिडोर में बह गए सवा सौ करोड़ रुपये, अब हो रही जांच की मांग

वाराणसी [विनोद पांडेय]। लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट की तरह वाराणसी में वरुणा कारीडोर का निर्माण हो रहा है। करीब चार साल बीतने को है लेकिन अभी तक कार्य पूरा नहीं हो सका। हकीकत यह है कि कारीडोर निर्माण में करोड़ों रुपये बह गए लेकिन वरुणा नदी की हालत जस की तस हैं। कार्य में धांधली की आशंका को लेकर कई संगठन विभिन्न माध्यमों से सीबीआई जांच की मांग करते रहे हैं।

loksabha election banner

इस मसले पर नदी और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े संगठन अब लामबंद होने लगे हैं। संगठनों का कहना है कि रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के नाम पर बनाई गई करोड़ों रुपये की वरुणा कारीडोर प्रोजेक्ट में कई बुनियादी खामियां हैं। जिस तरह मनमाने तरीके से ड्रेजिंग और निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए गए, उसकी छानबीन होनी चाहिए। नदी संरक्षण और सीवर गिरने से रोकने की कार्ययोजना को अमल में लाए बिना आनन-फानन में कारीडोर के नाम पर करोड़ों रुपये खपा दिए गए। तत्कालीन सपा सरकार और योजना से जुड़े विभागों के जिम्मेदारों ने रकम खपाने के लिए आखिर इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई? अब तक 50 फीसदी ही काम हो पाया है तो निकाली गई 70 फीसदी रकम कहां गई? इन सभी बिंदुओं की छानबीन के लिए सीबीआई जांच जरूरी है। 201 करोड़ रुपये की वरुणा कारीडोर योजना में अब तक 125 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं जिसमें मॉडल कार्य के नाम पर सिर्फ शास्त्री घाट के आसपास विकास किया गया है।

राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अधूरा प्रोजेक्ट

इस प्रोजेक्ट को बनारस की कंपनी प्लानर इंडिया ने बनाया था जिसमें जल संरक्षण के साथ ही हरित पट्टी का ख्याल रखते हुए पर्यटन स्थल विकसित करना था। बनारस के सांसद नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही केंद्र सरकार की ओर से शहर में कई विकास योजनाओं की शुरुआत हुई तो सपा सरकार ने विकास क्षेत्र में खुद की दमदार उपस्थिति के लिए वरुणा कारीडोर के अधूरा प्रोजेक्ट को स्वीकृति दे दी। सिंचाई विभाग ने आनन-फानन निर्माण शुरू करा दिया जबकि कारीडोर के किनारे 50 मीटर तक 762 अवैध निर्माण हैं जो अब भी परियोजना में बाधक बने हैं। प्लानर इंडिया का कहना है कि मुकम्मल प्रोजेक्ट में सिर्फ सुंदरीकरण कार्य को ही निर्माणाधीन वरुणा कारीडोर में शामिल किया गया।

पहली बाढ़ में बह गए थे निर्माण

कार्य की गुणवत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर बार बारिश के मौसम में मॉडल कारीडोर डूब जाता है। पहली बाढ़ में कई निर्माण बह भी गए थे। सपा सरकार के राज्यमंत्री मनोज राय धूपचंडी ने धांधली की आवाज सरकार तक पहुंचाई तो लोहे की रेलिंग की जगह नक्काशीदार पत्थर की रेलिंग लगी जो बाढ़ में भी स्थित हैं। कटान को रोकने के लिए विशेष प्रकार की घास को नई तकनीक से लगाया गया लेकिन यह कवायद भी पानी के बहाव के आगे बेकार साबित हुई। ऐसे ही बहुत से कार्य हुए हैं जिसे देखकर लोग कह देते हैं कि खूब धांधली हुई है।

अवैध निर्माण को जिम्मेदार विभाग

कैंट से आदिकेशव घाट यानी सराय मोहना तक तकरीबन 10 किमी लंबाई में प्रस्तावित वरुणा कारीडोर प्रोजेक्ट में बड़ी बाधा नदी की तलहटी तक बने अवैध भवन और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग हैं। इसके लिए जिला प्रशासन, वीडीए, राजस्व विभाग, नगर निगम से लेकर सिंचाई विभाग तक जिम्मेदार हैं। अवैध निर्माण हटाने, नदी की ड्रेजिंग के नाम पर धांधली होने के आरोप भी लग रहे हैं।

वरुणा कारीडोर में प्रस्तावित कार्य

  • नदी के दोनों ओर पाथ-वे
  • 50 मीटर चौड़ाई में हरित पट्टी
  • फूड प्लाजा व पार्क आदि निर्माण
  • नौका बिहार की सुविधा
  • आकर्षक लाइटिंग
  • जल संरक्षण के लिए चेक डैम निर्माण
  • लबालब पानी के लिए गोइठहां एसटीपी से 60 एमएलडी ट्रीट पानी रोज छोड़ेंगे

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.