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मोदी सरकार ने विश्वविद्यालयों के खाली पदों को 2022 तक भरने की रणनीति तैयार की

यूजीसी ने हाल ही में एक बैठक में 2022 को लेकर एक विजन प्लान को अंतिम रुप दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 04 Jun 2018 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jun 2018 11:01 PM (IST)
मोदी सरकार ने विश्वविद्यालयों के खाली पदों को 2022 तक भरने की रणनीति तैयार की
मोदी सरकार ने विश्वविद्यालयों के खाली पदों को 2022 तक भरने की रणनीति तैयार की

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने में जुटी सरकार अब इसे लेकर किसी भी तरह के समझौते के मूड नहीं है। यही वजह है कि सरकार ने विश्वविद्यालयों के खाली पदों को 2022 तक हर साल में भरने का रणनीति तैयार की है। साथ ही यह भी तय किया है कि इसके बाद विश्वविद्यालयों में एक ही समय में शिक्षकों के दस फीसद से ज्यादा पद खाली नहीं रहेंगे। सरकार ने यह बड़ी पहल उस समय की, जब देश भर के विश्वविद्यालयों में मौजूदा समय में शिक्षकों के 35 फीसद से ज्यादा पद खाली है।

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- उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए यूजीसी का 2022 का विजन प्लान

- पचास फीसद स्नातकों को रोजगार व स्वरोजगार योग्य बनाने पर जोर

खासबात यह है कि विश्वविद्यालयों में यह स्थिति पिछले कई सालों से बनी हुई है। सरकार का मानना है कि विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता को सुधारने में यह सबसे बड़े रोड़ा है। यही वजह है कि सरकार ने इसे समस्या से निपटने के लिए कमर कस ली है। यूजीसी ने हाल ही में एक बैठक में 2022 को लेकर एक विजन प्लान को अंतिम रुप दिया है। इसके तहत शिक्षकों के खाली पदों को भरने के साथ इनके ज्ञान को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से ओरिएंटेशन प्रोग्राम चलाने पर भी जोर दिया है।

यूजीसी ने अपने इस विजन में उन्हीं पहलुओं को शामिल किया है, जिन्हें हासिल करने में सरकार अब तक पिछड़ी हुई है। इसके अलावा यूजीसी ने एक ऐसी योजना भी शुरू करने के संकेत दिए है, जिससे आने वाले दिनों में स्नातक करके निकलने वाले कम से कम पचास फीसद छात्रों को रोजगार या स्वरोजगार से जोड़ना शामिल है। इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर कौशल विकास से जुड़े कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, नवाचार, सामाजिक क्षेत्रों में आगे बढ़ने जैसे कदम उठाने पर जोर दिया गया है।

यूजीसी ने इन सारे उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विश्वविद्यालयों से आवश्यक सुझाव भी मांगे है। यूजीसी ने इसके अलावा जो एक और बड़ी पहल की है, उसके तहत 2022 तक सभी विवि और कालेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की ग्रेडिंग में बेहतर स्तर पर पहुंचाना है। मौजूदा समय में देश में बड़ी संख्या में ऐसे विश्वविद्यालय और कालेज है, जिनका नैक की ग्रेडिंग में स्कोर 2.5 से कम है। ऐसे में यूजीसी का जोर है कि ऐसे सभी संस्थानों को 2022 तक बेहतर स्थिति में खड़ा करना है। यूजीसी ने इसके साथ ही उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत बनाने के लिए और भी कई छोटे-छोटे कदम उठाए है।


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