उत्तराखंड में फिर आएगी तबाही? सहमे ढाई सौ गांव
देहरादून [जेएनएन]। उत्तराखंड के आपदाग्रस्त इलाके में धूप-छांव का दौर जारी है। बादल गरज के साथ बरस भी रहे हैं। दो दिनों के भीतर भारी बारिश का अंदेशा है। काले बादलों की आमदरफ्त उन ढाई सौ गांवों के लोगों का कलेजा बैठा रही है जिनके पास अभी तक कोई सरकारी मदद नहीं पहुंची है।
देहरादून [जेएनएन]। उत्तराखंड के आपदाग्रस्त इलाके में धूप-छांव का दौर जारी है। बादल गरज के साथ बरस भी रहे हैं। दो दिनों के भीतर भारी बारिश का अंदेशा है। काले बादलों की आमदरफ्त उन ढाई सौ गांवों के लोगों का कलेजा बैठा रही है जिनके पास अभी तक कोई सरकारी मदद नहीं पहुंची है। अभावों से जूझ रहे इन गांवों के लोग खुद के जुटाए संसाधनों से जैसे-तैसे पल काट रहे हैं। पिथौरागढ़ में 15 हजार लोगों के भुखमरी के कगार पर पहुंचने की खबर है। लापता लोगों के बारे में उत्ताराखंड सरकार ने अपनी नीति का एलान कर दिया है। लापता हुए सूचीबद्ध 3,064 लोगों में से जो 15 जुलाई तक नहीं मिलेंगे, उन्हें आपदा में मृत मान लिया जाएगा और उनके परिजनों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि परिजनों को आर्थिक सहायता देने की प्रक्रिया 30 जुलाई तक पूरी कर ली जाएगी। उल्लेखनीय है कि लापता लोगों में सर्वाधिक संख्या उत्तार प्रदेश के लोगों की है।
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16-17 जून को आई आपदा के घावों की टीस अभी कम नहीं हुई है कि मौसम फिर से डराने वाले संकेत दे रहा है। आपदा से प्रभावित चमोली और पिथौरागढ़ में भी भारी बारिश का अंदेशा है। सबसे बुरी दशा आपदाग्रस्त रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तारकाशी जिलों के दो सौ से ज्यादा गांवों की है जहां 18 दिन बाद भी सरकारी सहायता नहीं पहुंची। खराब मौसम के चलते घाटियों में बसे इन गांवों तक हेलीकॉप्टर नहीं पहुंच पा रहे हैं। सड़क मार्ग नष्ट हो जाने से उनके निकलने या उन तक पहुंचने का साधन नहीं बन पा रहा है। हजारों लोग और जानवर भुखमरी के कगार पर हैं। इनके अतिरिक्त उन सैकड़ों गांवों में भी बड़ी आबादी फंसी हुई है जिनका आपदा काफी-कुछ बर्बाद कर गई है लेकिन वे घर-जानवर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर नहीं जा रहे। वे हेलीकॉप्टरों से गिराई जा रही राहत सामग्री पर आश्रित हैं। अगर बादलों ने कहर बरपाया तो उनकी मुश्किल बढ़ जाएगी। प्रदेश भाजपा ने हालात की पुष्टि करते हुए सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे को फर्जी बताया है।
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पिथौरागढ़ की भी बुरी दशा
आपदा ने पिथौरागढ़ के धारचूला इलाके के लोगों की कमर तोड़ दी है। धारचूला से सिपू तक के 36 गांव के 15 हजार से अधिक लोग भुखमरी के कगार पर हैं। आपदा के 18 दिन बाद भी उन तक राहत सामग्री नहीं पहुंची है। पूरी तरह तबाह हो चुके सोबला, खिम, कंज्योति, सुवा, न्यू सुवा गांव के लोगों को अभी तक नहीं निकाला जा सका है। जिन इलाकों के लोगों निकाला भी गया है, उन्हें राहत केंद्र में असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
केदारनाथ में सात और शवों का संस्कार
केदारनाथ में लावारिस मिले सात और शवों का गुरुवार को अंतिम संस्कार किया गया। इन शवों के डीएनए नमूने और पहचान चिह्न सुरक्षित कर लिए गए हैं। इनको मिलाकर अभी तक अंतिम संस्कार किए गए शवों की संख्या 66 हो गई है।
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केंद्र बनवाएगा दस हजार आवास
उत्ताराखंड में बर्बाद हुए गांवों और कस्बों में केंद्र सरकार का आवास मंत्रालय दस हजार मकानों का निर्माण कराएगा। तीन हजार करोड़ की लागत से बनने वाले इन मकानों के लिए लोगों को आसान शर्तो वाले ऋण दिए जाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र की टीम ने लिया जायजा
संयुक्त राष्ट्र संघ की अलग-अलग टीमों ने गुरुवार को रुद्रप्रयाग व चमोली जनपद के विभिन्न स्थानों का भ्रमण कर आपदा से हुई क्षति का आकलन किया। इसके बाद गुप्तकाशी, गौरीकुंड समेत केदारनाथ में भी यह टीम क्षति का आंकलन करेगी। रुद्रप्रयाग जनपद पहुंची संयुक्त राष्ट्र संघ की छह सदस्यीय टीम के तीन सदस्य एनी जॉर्ज के नेतृत्व अगस्त्यमुनि क्षेत्र में पहुंचे। वहीं, जलिल लोन के नेतृत्व में तीन सदस्यों ने जखोली के सुमाड़ी में क्षति का आकलन किया। दौरे के बाद एनी जॉर्ज ने इलाके में जान और माल के भारी नुकसान की बात कही है।
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