इस साल मानसून में कम होगी बारिश, अलनीनो बना वजह
स्काईमेट ने बताया कि इस साल मानसून की बारिश सामान्य से कम हो सकती है।अल नीनो को सामान्य बारिश से नीचे संभावित बारिश के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र/आइएएनएस। मौसम की भविष्यवाणी करनेवाली एक निजी कंपनी स्काईमेट ने दावा किया है कि इस साल मानसूनी बारिश सामान्य से कम रह सकती है। उसने कहा है कि जून-सितंबर में प्रशांत महासागर में अल नीनो की वजह से मानसून सामान्य से नीचे रह सकता है।
मौसम की जानकारी देने वाले स्काईमेट ने बुधवार को बताया कि लंबी अवधि के औसत (एलपीए) के मुकाबले मानसून के 90-95 फीसद रहने का अनुमान है। स्काईमेट ने कहा है कि अल नीनो की वजह से मानसून सामान्य से नीचे रह सकता है। वहीं, सामान्य से भी कम बारिश की आशंका (महज 55 फीसद) है।
जून से सितंबर तक चार महीने 93 फीसद बारिश का ही अनुमान है। जबकि मई-जुलाई में 66 फीसद अलनीनो की आशंका है। जुलाई में 55 फीसद और जून में 75 फीसद सामान्य से कम वर्षा होगी। एलपीए वर्ष 1951 और 2000 के बीच की बारिश का औसत है, जो 89 सेंटीमीटर है।
2019 में मानसून एलपीए का 93 फीसद (+-5 फीसद) रहेगा, चूंकि जून से सितंबर के बीच सामान्य से कम बारिश होगी। सूखा पड़ने का खतरा 15 फीसद है, जबकि अत्यधिक बारिश की कोई संभावना नहीं है। स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि प्रशांत महासागर के औसत से अधिक गर्म हो गया है। इसलिए अलनीनो के प्रभाव की 80 फीसद आशंका है।
क्या है अच्छा मानसून
सामान्य, औसत या फिर अच्छे मानसून का मतलब है कि 50 साल की लंबी अवधि के औसत का लगभग 96 से 104 फीसद बारिश का होना। 50 साल में औसत बारिश चार महीनों के मानसून के दौरान 89 सेंटीमीटर अथवा 35 इंच बारिश है। अच्छे मानसून की यह परिभाषा मौसम विभाग ने दी है। वहीं 90 फीसद से कम बारिश से देश में सूखे की स्थिति रहती है।