कम बारिश के बावजूद सामान्य मानसून का दावा
अपेक्षा से कम हो रही बारिश और अल नीनो की आशंकाओं के बीच मानसून पूर्वानुमानों में मामूली बदलाव करते हुए मौसम विभाग की ओर से सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी की गई है।
-इस बार 96 फीसद तक सामान्य वर्षा होने की उम्मीद
-अल नीनो की आशंकाएं बढ़ी, अगस्त-सितंबर में नजर आ सकता है असर
-उत्तर-पश्चिम भारत में कम बारिश का अनुमान
-जुलाई में 98 फीसद और अगस्त में 96 प्रतिशत बारिश की भविष्यवाणी
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अपेक्षा से कम हो रही बारिश और अल नीनो की आशकाओं के बीच मानसून पूर्वानुमानों में मामूली बदलाव करते हुए मौसम विभाग की ओर से सामान्य वर्षा की भविष्यवाणी की गई है। शुक्रवार को जारी दक्षिण-पश्चिम मानसून दीर्घावधि पूर्वानुमान अपडेट में विभाग का कहना है कि इस साल बारिश 50 साल के औसत के मुकाबले 96 फीसद तक रहेगी। मौसम विभाग ने अप्रैल में जारी पहले पूर्वानुमान में दीर्घावधि वर्षा औसत के 99 प्रतिशत तक बारिश का अनुमान लगाया था।
हालाकि मौसम विभाग अपने इस अनुमान पर अभी भी कायम है कि जून से सितंबर के मौसम में मानसूनी बादल दीर्घावधि औसत 89 सेंटीमीटर के मुकाबले 96-104 फीसद तक बरसेंगे। मौसम विभाग के वर्गीकरण में इसे सामान्य वर्षा कहा जाता है। इन अनुमानों में 4 फीसद कम या अधिक हो सकती है। वैसे 21 जून तक दर्ज हुई बारिश दीर्घावधि औसत के मुकाबले 24 फीसद कम है। मौसम विभाग के महानिदेशक एलएस राठौर इससे ज्यादा फिक्रमंद नहीं नजर आते। उनका कहना है कि जुलाई और अगस्त के महीनों में इसकी भरपाई संभव है। विभाग ने जुलाई में 98 फीसद और अगस्त में 96 प्रतिशत बारिश की भविष्यवाणी की है।
वैसे मौसम विभाग के अपडेट अनुमानों में सबसे ज्यादा चिंता के संकेत उत्तर पश्चिम भारत के लिए है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराचल व उत्तरप्रदेश जैसे सूबों को शामिल करने वाले इस इलाके में दीर्घावधि औसत की अपेक्षा सबसे कम 93 फीसद वर्षा का अनुमान लगाया गया है। महत्वपूर्ण है कि खरीफ के मौसम में धान के उत्पादन के लिहाज से भी यह इलाका खासा अहम है।
इस कड़ी में मध्य भारत (गुजरात, मध्यप्रेदश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गोवा, उड़ीसा) में दीर्घावधि औसत का 96 प्रतिशत और दक्षिण प्रायद्वीप (आध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, लक्षद्वीप, अंडमान निकोबार) में 95 फीसद बारिश का अनुमान है। जबकि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल व पूर्वोत्तर राज्यों वाले उत्तर पूर्वी भारत में दीर्घावधि औसत के मुकाबले सबसे ज्यादा 99 फीसद वर्षा की उम्मीद है।
इस बीच मौसम विभाग ने माना है कि मानसून की सेहत बिगाड़ने में सक्षम अल नीनो प्रभाव की आशका मजबूत हो गई है। इसके सामने आने की उम्मीद अगस्त व सितंबर में है। प्रशात महासागर में सतह का तापमान बढ़ने की स्थिति अल नीनो कहलाती है और इससे मानसून कमजोर पड़ता है। हालाकि मौसम विज्ञानी इस बात पर जोर देते हैं कि यह जरूरी नहीं कि अल नीनो है तो मानसून कमजोर ही रहेगा। कई बार ऐसा हुआ है कि अल नीनो प्रभाव वाले सालों में सामान्य बारिश हुई है।
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