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20 से 65 लाख तक की गाड़ियों से चलते हैं बाबा

संगम तट पर फर्राटा भरती बेशकीमती गाड़ियों पर नजर ठहरना स्वाभाविक है। इनमें जब भगवा वस्त्रधारी साधु दिखाई देते हैं, तो2 और हैरत होती है। गौर से देखने पर पर गाड़ी के आगे उनके नाम-पते वाली प्लेट भी चमक जाती है। ऑडी, टोयोटा फॉ‌र्च्यूनर, मित्सुबिशी पजेरो, फोर्ड एंडिवर, शेवरले कैप्टिवा ज

By Edited By: Published: Sat, 19 Jan 2013 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2013 09:01 AM (IST)
20 से 65 लाख तक की गाड़ियों से चलते हैं बाबा

प्रदीप अग्निहोत्री, कुंभनगर इलाहाबाद। संगम तट पर फर्राटा भरती बेशकीमती गाड़ियों पर नजर ठहरना स्वाभाविक है। इनमें जब भगवा वस्त्रधारी साधु दिखाई देते हैं, तो2 और हैरत होती है। गौर से देखने पर पर गाड़ी के आगे उनके नाम-पते वाली प्लेट भी चमक जाती है।

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ऑडी, टोयोटा फॉ‌र्च्यूनर, मित्सुबिशी पजेरो, फोर्ड एंडिवर, शेवरले कैप्टिवा जैसी महंगी गाड़ियों के स्वामी का असल नाम-पता जानना हो, तो यहां बने इनके अस्थायी आश्रमों की खाक छाननी पड़ेगी। इन गाड़ियों की कीमत 20 से 65 लाख रुपये तक है।

युवा पीढ़ी को तो ये गाड़ियां खासतौर से ललचाती हैं। लेकिन सब कुछ त्याग चुके साधु इनका इस्तेमाल करते हैं। महंगी गाड़ियों में चलने वाले संतों में महामंडलेश्वर पायलट बाबा बाजी मारे हुए हैं। उनकी ऑडी क्यू सेवन की कीमत 65 लाख रुपये से ज्यादा है। अग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर आचार्य रसानंद जी महाराज 25 लाख की पजेरो में चलते हैं। पूछने पर कहते हैं, भक्त ने दी है। खुद की कोई इच्छा नहीं है। न ही किसी से कभी कोई अपेक्षा रखी है। भक्त और श्रद्धालु संत व आश्रमों को उनके गुणों को तौलकर दान देते हैं। बाकी महात्माओं के भी मिलते-जुलते कथन हैं।

श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के आश्रम परिसर में खड़ी शेवरले कैप्टिवा की नेम प्लेट ढकी हुई है। पास खड़ा आश्रम का सेवादार कवर हटाने की अनुमति नहीं देता है। यह गाड़ी भी किसी बड़े पदधारी साधु की है। श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर स्वामी निज स्वरूपानंद पुरी भी पजेरो में चलते हैं। इसी ब्रांड की गाड़ी श्री पंचायती शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के महामंडलेश्वर आचार्य शुकदेवानंद जी महाराज के पास भी है। महामंडलेश्वर स्वामी दिव्यानंद गिरि जी महाराज टोयोटा फॉ?र्च्यूनर में चलते हैं। आनंद पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी गहनानंद जी के पास 18 लाख से ज्यादा की होंडा सिविक है। बागपत के एक महंत भी 16 लाख की एक्सयूवी 500 में घूमते दिखे। लकदक गाड़ियों में घूमने वाले साधुओं की सूची में और भी कई नाम हैं। 10-12 लाख की सफारी, स्कॉर्पियो, बोलेरो, टवेरा में घूमने वाले साधुओं की कोई गिनती नहीं है। इन गाड़ियों में वस्त्र तक त्याग चुके नागा साधु भी आते-जाते दिखाई दे जाते हैं।

बत्ती वाले बाबा

भगवाधारी साधुओं को लकदक गाड़ियां ही नहीं, उन पर लाल-पीली बत्ती लगाकर घूमना भी खूब भाता है। जूना अखाड़ा परिसर में लाल बत्ती लगी बोलेरो दिखाई दी, तो लगा कि कोई बड़ा श्रद्धालु गुरु से मिलने आया होगा। करीब जाकर देखने पर पता चला कि गाड़ी जूना अखाड़ा के मेला क्षेत्र प्रभारी महंत की है। इसी प्रकार से महामंडलेश्वर आचार्य रामकृष्णानंद की मध्य प्रदेश के नंबर की गाड़ी के ऊपर पीली बत्ती लगी दिखाई दी। मध्य प्रदेश सरकार के बड़े अधिकारी पीली बत्ती लगाते हैं। आमजनों को इसकी अनुमति नहीं है।

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