दीन दयाल उपाध्याय का जीवन दर्शन पूरे उनके पूरे जीवन की तपस्या : मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने जयपुर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि उपाध्याय का जीवन दर्शन उनकी तपस्या का परिणाम है, जो सनातन दर्शन को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करता है। भागवत ने उपाध्याय के आदर्शों को प्रसारित करने और उनके दर्शन को सभी तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. मोहन भागवत। (फाइल)
जागरण संवाददाता, जयपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक डॉ. मोहन राव भागवत इन दिनों जयपुर में है। संघ प्रमुख ने शुक्रवार को जयपुर के धानक्या गांव में पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक पर पहुंचकर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और स्वयंसेवकों के साथ संवाद किया।
उन्होंने यहां दीनदयाल उपाध्याय स्मृति समारोह समिति की पिछले छह वर्षों की गतिविधियों पर लगी प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।
इस मौके पर भागवत ने कहा, उपाध्याय का जो जीवन दर्शन है, उसके पीछे उनके पूरे जीवन की तपस्या है। यह केवल चिंतन नहीं है। जीवन के अनुरूप की गहराई में जो मनन हुआ है उसका परिणाम है। यह दर्शन नया नहीं है। अपना सनातन दर्शन ही है। उपाध्याय ने इस दर्शन को देशकाल और परिस्थिति के अनुरूप प्रस्तुत किया है।
भागवत ने कहा, उपाध्याय का दर्शन सभी जगह जाना चाहिए। इनके आदर्शों का प्रचार सर्वत्र होना चाहिए। सत्य, करूणा, शुचिता और तपस्या उपाध्याय के जीवन की पूर्णत: उत्कर्षता के साथ दिखती है। उपाध्याय स्वतंत्र भारत के एकमात्र उदाहरण है, जिन्होंने राजनीति में आकर उसकी प्रकृति को बदलने का प्रयास किया।

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