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अफस्पा हटाना संभव नहीं तो कुछ संशोधन हो: उमर

श्रीनगर [जागरण ब्यूरो]। सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम [अफस्पा] पर केंद्र सरकार के रुख को देखते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सुझाव दिया है कि अगर मौजूदा हालात में इसे हटाना संभव नहीं है तो इसमें कुछ संशोधन जरूर किए जाने चाहिए, ताकि सुरक्षाबल इस कानून का अनुचित लाभ न उठा सकें। उमर ने कहा कि यह कानून लगभग 23 साल पहले जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया था। तब और अब के हालात में बहुत बदलाव आया है।

By Edited By: Published: Mon, 08 Jul 2013 08:09 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2013 08:14 PM (IST)
अफस्पा हटाना संभव नहीं तो कुछ संशोधन हो: उमर

श्रीनगर [जागरण ब्यूरो]। सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम [अफस्पा] पर केंद्र सरकार के रुख को देखते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सुझाव दिया है कि अगर मौजूदा हालात में इसे हटाना संभव नहीं है तो इसमें कुछ संशोधन जरूर किए जाने चाहिए, ताकि सुरक्षाबल इस कानून का अनुचित लाभ न उठा सकें। उमर ने कहा कि यह कानून लगभग 23 साल पहले जम्मू-कश्मीर में लागू किया गया था। तब और अब के हालात में बहुत बदलाव आया है।

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उमर ने कहा कि मरकुंडल की घटना हो या 2010 की मच्छल में फर्जी मुठभेड़, इसी कानून के तहत मिली छूट का नतीजा है। जिन इलाकों में इसकी जरूरत है, उन इलाकों में रहने दिया जाए और जहां जरूरत नहीं, वहां से हटाया जाए। अगर ऐसा संभव नहीं तो इसके कुछ प्रावधानों में संशोधन किया जाना चाहिए। सेना को अपने आतंकरोधी अभियानों के लिए इस कानून का सहारा चाहिए। हम इसे बनाए रखने के पक्षधर हैं, लेकिन कुछ बदलावों के साथ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जन सुरक्षा अधिनियम [पीएसए] भी बहुत सख्त था, लेकिन हमने इसमें कई बदलाव और संशोधन किए हैं। केंद्र को भी चाहिए कि अफस्पा में बदलाव करे। उन्होंने कहा, मैंने स्वीकार किया है कि हैदरपोरा में सेना के काफिले पर हमला और उसके बाद मरकुंडल में सुरक्षाबलों की फायरिंग में दो युवकों की मौत ने अफस्पा पर दो तरह की राय कायम की है। अफस्पा के पक्षधर हैदरपोरा की घटना का तर्क देंगे और इसके विरोधी मरकुंडल में दो युवकों की मौत का हवाला। हमें बीच का रास्ता निकालना चाहिए। उन्होंने आगामी विधानसभा चुनाव में अफस्पा के मुद्दा बनने की की संभावना जताते हुए कहा कि मैं चाहता हूं केंद्र इस पर जल्द से जल्द कोई सकारात्मक फैसला ले।

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