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मोदी सरकार बांस आधारित अर्थव्यवस्था से सुधारेगी आदिवासियों की माली हालत

भारत में पैदा होने वाला बांस वियतनाम और चीन की तुलना में कम गुणवत्ता वाला है। ट्राइफेड बांस के उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने और अच्छी कीमत दिलाने में मदद करेगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 10:16 PM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 10:16 PM (IST)
मोदी सरकार बांस आधारित अर्थव्यवस्था से सुधारेगी आदिवासियों की माली हालत
मोदी सरकार बांस आधारित अर्थव्यवस्था से सुधारेगी आदिवासियों की माली हालत

माला दीक्षित, नई दिल्ली। वन धन योजना के जरिये आदिवासियों को सक्षम और संपन्न बनाने मे जुटी सरकार बांस आधारित अर्थव्यवस्था लागू करके उनकी माली हालत सुधारेगी। बांस से फर्नीचर, अन्य उपयोगी सामान, के अलावा सौन्दर्य प्रसाधनों और औषधीय महत्व में प्रयोग होने वाला चारकोल भी बनाया जाएगा जो कि न सिर्फ सौ फीसद पर्यावरण अनुकूल है बल्कि पर्यावरण में व्याप्त कार्बन को सोख कर प्रदूषण को कम करने की क्षमता भी रखता है। भारत सरकार का जनजातीय मंत्रालय कान्फ्रेंस आफ पार्टीज (कॉप 14) में 13 सिंतबर को पर्यावरण अनुकूल बांस आधारित अर्थव्यवस्था की योजना पेश करेगा।

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बांस आधारित अर्थव्यवस्था

बांस आधारित अर्थव्यवस्था का सबसे ज्यादा लाभ उन उत्तर पूर्वी राज्यों को मिलेगा जो विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण सामान्य योजनाओं और विकास का लाभ पाने में पीछे रह जाते हैं। उस आदिवासी बहुल क्षेत्र में बांस बहुतायत में होता है और उस पर आधारित अर्थव्यवस्था सीधे उनकी प्रगति के रास्ते खोलेगी।

बांस अब घास की श्रेणी में आता में आता है

पहले बास पेड़ की श्रेणी में आता था और उसे काटने के लिए सरकार से इजाजत लेनी पड़ती थी। वर्ष 2017 में कानून में संशोधन करके बांस को पेड़ के बजाए घास घोषित कर दिया गया है। जिसका परिणाम यह हुआ है कि आदिवासी अपनी मल्कियत वाली जमीन पर लगे बांस को काट के उपयोग कर सकते हैं। वहां दोबारा बांस का प्लांटेशन भी कर सकते हैं।

बांस आधारित उत्पादों को बढ़ावा देगा ट्राइफेड

बांस आधारित अर्थव्यवस्था से आदिवासियों को उद्यमी बनाने में जनजातीय मंत्रालय के तहत आने वाला ट्राइफेड मदद करेगा। ट्राइफेड के एमडी प्रवीर कृष्णा बताते हैं कि अभी तक भारत में एक बांस का सिर्फ 20 फीसद उपयोग होता है जबकि चीन में एक बांस का 80 फीसद उपयोग होता है। सरकार ने इन बातों का ध्यान रखते हुए बांस आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने का निश्चय किया है। इसके लिये बांस के फर्नीचर, अगरबत्ती आदि के अलावा बांस से चारकोल बनाया जाएगा।

चारकोल आदिवासियों के जीवन यापन का आधार बनने के साथ ही इससे मिट्टी की उत्पादक क्षमता भी बढ़ेगी। ट्राइफेड बांस के उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने और अच्छी कीमत दिलाने में आदिवासियों की मदद करेगा।

वन धन योजना

वन धन योजना के तहत स्वयं सहायता समूह चिन्हित किये जाएंगे। एक समूह को 15 लाख की मदद दी जाएगी और पांच लाख उसे स्वयं जुटाने होंगे। हालांकि भारत में पैदा होने वाला बांस वियतनाम और चीन की तुलना में कम गुणवत्ता वाला है इसलिए इसकी गुणवत्ता बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जाएगा।


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