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मोदी सरकार ने फिर से आवंटित किए कोयला ब्लाक के उत्पादन में बना नया रिकार्ड

सरकार का यह दावा जरुर है कि कोयला उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और इसकी वजह से देश में ताप बिजली संयंत्रों में कोयले के स्टाक में भी सुधार हुआ है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 07:58 PM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 07:58 PM (IST)
मोदी सरकार ने फिर से आवंटित किए कोयला ब्लाक के उत्पादन में बना नया रिकार्ड
मोदी सरकार ने फिर से आवंटित किए कोयला ब्लाक के उत्पादन में बना नया रिकार्ड

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के आरोप में सुप्रीम कोर्ट ने जिन कोयला ब्लाकों का आवंटन रद्द किया था उनमें कोयला उत्पादन का नया रिकार्ड बन रहा है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 214 कोयला ब्लाकों के आवंटन रद्द किये गये और इनमें से 85 ब्लाकों का अभी तक आवंटन सरकार ने किया है। कोयला मंत्रालय के आंकड़े बता रहे हैं कि आवंटन के पहले तीन वर्षो में इन ब्लाकों के उत्पादन में 85 फीसद की बढ़ोतरी हुई है जबकि चालू वित्त वर्ष के दौरान उत्पादन एक झटके में तकरीबन दोगुना होने के आसार है। वर्ष 2017-18 में इन ब्लाकों से 2.2 करोड़ टन कोयला उत्पादन हुआ था जो चालू वित्त वर्ष के दौरान तकरीबन 4 करोड़ टन हो जाने की उम्मीद है।

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सुप्रीम कोर्ट से रद्द 214 कोयला ब्लाकों में से 85 ब्लाकों का नया आवंटन

हाल के महीनों में कोयले की मांग बढ़ने की वजह से कोयला मंत्रालय ने इन कोयला ब्लाकों से उत्पादन को बढ़ाने की राह की तमाम तरह की अड़चनों को खत्म कर दी है। कोयला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जितने भी ब्लाक आवंटित किये जा रहे हैं उनके पर्यावरण और वन संबंधी मंजूरियों को नए सिरे से स्वीकृत करने, लीजिंग लाइसेंस को रिनीवल करने, संशोधित खनन योजनाओं को स्वीकृति देने के अलावा भूमि विकास का काम केंद्रीय स्तर पर करवाया गया है। इसे उत्पादन का काम तेजी से शुरु हो सका है।

वर्ष 2019-20 से इन ब्लाकों में कोयला उत्पादन और तेजी से बढ़ाने की तैयारी है। आवंटित कोयला ब्लाकों की निगरानी भी काफी सख्ती से की जा रही है। यही वजह है कि वर्ष 2015-16 में इन ब्लाकों से उत्पादन जहां 1.18 करोड़ टन थो अब बढ़ कर 2.2 करोड़ टन हो गया है। अतिरिक्त उत्पादन से 18 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त हुए हैं और अगले वित्त वर्ष 14 हजार लोगों को और अतिरिक्त रोजगार के अवसर दिए जाएंगे।

निजी बिजली कंपनियां संतुष्ट नहीं

सरकार का यह दावा जरुर है कि कोयला उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और इसकी वजह से देश में ताप बिजली संयंत्रों में कोयले के स्टाक में भी सुधार हुआ है लेकिन निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियां (पीपीपी) खासे संतुष्ट नहीं है। ये बिजली कंपनियां खास तौर पर सरकारी कोयला कंपनी कोल इंडिया की तरफ से आवंटित होने वाले कोयला ब्लाकों से जुड़े कुछ नियमों को लेकर नाराज है। इनकी नाराजगी की वजह शक्ति नाम की वह योजना है जिसके तहत पीपीपी को कोयला ब्लाकों का आवंटन किया गया है।

पहले सरकार की तरफ से कहा गया कि सिर्फ एक बार शक्ति योजना के तहत कोयला ब्लाक आवंटित होंगे। लेकिन इस योजना के तहत अब दोबारा कोयला ब्लाक आवंटित किया जा रहा है लेकिन पहले चरण में सफल कंपनियों क दूसरी बार नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेने दिया जा रहा है।

पीपीपी का कहना है कि कई प्रोजेक्ट ऐसे है जिन्होंने पहले चरण में कोयला हासिल किया है लेकिन वह उनके लिए अपर्याप्त है। ऐसे में इन्हें दोबारा भी नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने की अनुमति मिलनी चाहिए। इन कंपनियों के संगठन एसोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यसर की तरफ से कैबिनेट सचिव को पत्र लिखा गया है कि अगर उन्हें दोबारा नीलामी में भाग नहीं लेने दिया गया तो वह न्याय के लिए कोर्ट जाएंगे।


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