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Chief of Defence Staff (CDS): 31 को घोषित हो सकता है देश का पहला सीडीएस, जानें क्या होगी भूमिका

चार महीने पहले लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट ने चीफ आफ डिफेंस स्टाफ की मंजूरी दे दी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Fri, 27 Dec 2019 10:48 PM (IST)Updated: Sat, 28 Dec 2019 07:35 AM (IST)
Chief of Defence Staff (CDS): 31 को घोषित हो सकता है देश का पहला सीडीएस, जानें क्या होगी भूमिका
Chief of Defence Staff (CDS): 31 को घोषित हो सकता है देश का पहला सीडीएस, जानें क्या होगी भूमिका

नई दिल्ली, आइएएनएस। केंद्र सरकार देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief of Defence Staff) के नाम की घोषणा आगामी 31 दिसंबर को कर सकती है। चेयरमैन ऑफ चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (COAC) के बैटन के हस्तांतरण के अलंकरण समारोह को इसी दिन के लिए स्थगित कर दिया गया था।

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इससे पहले यह कार्यक्रम शुक्रवार को होना तय था, लेकिन अंतिम क्षणों में इसे स्थगित करना पड़ा था। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत 31 दिसंबर को ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उन्हें ही यह बैटन नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह को शुक्रवार को सौंपना था जो अब आगामी 31 तारीख को किया जाएगा।

केंद्रीय कैबिनेट दे चुकी है मंजूरी

भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीओएससी में सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुख शामिल होते हैं। इनमें से वरिष्ठतम अफसर को रिटायर होने तक बारी-बारी चेयरमैन नियुक्त किया जाता है। चूंकि विगत 24 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट ने सीडीएस पद को मंजूरी दे दी, अब इस पद के लिए सबसे ऊपर जनरल बिपिन रावत का नाम चर्चा में है।

सीडीएस की क्या होगी भूमिका?

देश का पहला सीडीएस एक चार सितारा जनरल के तौर पर अपने तीन सेना प्रमुखों जितना ही वेतन-भत्ते पाएगा, लेकिन उसका तीनों सेनाओं के अभियानों पर पूरा नियंत्रण होगा। इस तरह से सीडीएस समान रैंक के सैन्य अफसरों में सबसे ऊपर होगा। चूंकि वह सीओएससी का स्थाई अध्यक्ष होगा और रक्षा मंत्रालय में नए सैन्य विभाग का प्रमुख होगा।

कारगिल युद्ध के समय उठी थी मांग

बता दें कि कारगिल समीक्षा समिति (Kargil Review Committee) ने  देश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ  की सिफारिश की थी। 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) के समय देश की सुरक्षा प्रणालियों व रणनीति में खामी की समीक्षा के लिए बनाई गई थी और यह माना गया था कि समन्वय के लिए एक एकीकृत सैन्य सलाहकार होना चाहिए।                    


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