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मोदी सरकार देशभर में तैयार कर रही 28 दमदार हाईवे, वायुसेना के लिए करेंगे रनवे का काम

सरकार देश भर में 28 ऐसे हाईवे तैयार कर रही है जो वायुसेना के विमानों के लिए रनवे का काम कर सकेंगे। जालौर में बनी यह हवाई पट्टी तीन किलोमीटर लंबी है। वर्ष 2017 में लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना के विमान मिराज-2000 ने इमरजेंसी लैंडिंग का रिहर्सल किया था।

By TilakrajEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 02:21 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 02:21 PM (IST)
मोदी सरकार देशभर में तैयार कर रही 28 दमदार हाईवे, वायुसेना के लिए करेंगे रनवे का काम
पाकिस्तान सीमा से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर यह सड़क भारतीय वायुसेना के लिए हवाई पट्टी बन गई है

रंजना मिश्र। भारतीय वायुसेना के वेस्टर्न सेक्टर में राष्ट्रीय राजमार्ग 925ए है। जगह है राजस्थान का जालौर। पाकिस्तान सीमा से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर यह सड़क भारतीय वायुसेना के लिए हवाई पट्टी बन गई है, जिसने भारत की वायु शक्ति को नई धार दी है। पहली बार कोई राष्ट्रीय राजमार्ग वायुसेना के विमानों की इमरजेंसी लैंडिंग के लिए खासतौर पर बनाया गया है। हाईवे वाली हवाई पट्टी पर लैंडिंग का शुभारंभ भारतीय वायु सेना के दमदार विमान सुखोई 30 एमके आइ ने किया। इसके बाद वायुसेना के सी 130 जे सुपर हरक्यूलिस ने टचडाउन किया।

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साथ ही वायुसेना के जगुआर जेट ने अपना दमखम दिखाते हुए जालौर के हाईवे पर दौड़ लगाई। विमानों को कंट्रोल करने के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर भी यहां मौजूद है। भारतीय वायुसेना के लिए बना यह खास हाईवे देश के लिए सरहद पर शक्ति पथ जैसा है। भारत के पश्चिमी सेक्टर में यह सेना के लिए एक बड़ा रणनीतिक बूस्टर है। युद्ध की स्थिति में इसे बैकअप रनवे की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। वास्तव में यह इमरजेंसी लैंडिंग स्टिप हैं। जंग में कभी-कभी दुश्मन देश रनवे पर बम गिराकर चले जाते हैं तो तीन चार घंटे के लिए रनवे प्रयोग में नहीं लाया जा सकता। उस समय जो हवाई जहाज हवा में होते हैं, उन्हें उतारने के लिए यह इमरजेंसी लैंडिंग स्टिप बनाई गई है। युद्ध जैसी परिस्थितियों में यह हवाई पट्टी आपात इस्तेमाल और प्रभावी रनवे बैकअप का काम कर सकती है।

सरकार देश भर में 28 ऐसे हाईवे तैयार कर रही है, जो वायुसेना के विमानों के लिए रनवे का काम कर सकेंगे। जालौर में बनी यह हवाई पट्टी तीन किलोमीटर लंबी है। वर्ष 2017 में लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना के विमान मिराज-2000 ने इमरजेंसी लैंडिंग का रिहर्सल किया था। इसी के बाद जालौर हाईवे जैसी सुविधा के निर्माण को लेकर राष्ट्रीय प्लान ने जोर पकड़ा। 1971 की लड़ाई में तीन दिसंबर को सबसे पहले पाकिस्तान ने भारत के एयरबेस पर हमला किया था।

कश्मीर में अवंतीपुरा से लेकर पूरे पंजाब और राजस्थान के कई एयरबेस पर हमले किए गए थे। ऐसी स्थिति में अगर रनवे क्षतिग्रस्त हो गया तो फिर एयर आपरेशन रुक जाएंगे। इसलिए हमेशा दूसरी जगहों यानी वैकल्पिक जगहों की व्यवस्था रहती है, जहां से सैन्य अभियान को जारी रखा जा सके। यही इनका सबसे बड़ा सामरिक महत्व होता है।

लड़ाकू विमान बहुत छोटे होते हैं। वहीं परिवहन विमान को उतरने के लिए बड़ी जगह की जरूरत होती है। जालौर हाईवे पर दोनों तरह के विमान उतारे जा सकते हैं। लड़ाकू विमान हमेशा हमला करने की सबसे पहली चीज होती हैं और परिवहन विमान के जरिये अपनी सेनाओं को सपोर्ट किया जाता है, उनको सप्लाई पहुंचाई जाती है और लड़ाई के लिए तैयार किया जाता है।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)


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