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किसानों की आय बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने दो दर्जन से अधिक परियोजनाएं को दी स्वीकृति

दुग्ध उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में भी सरकार की अोर से कारगर पहल की गई है। डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए प्राइवेट क्षेत्र के साथ सहकारी क्षेत्रों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 11:38 PM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2019 11:38 PM (IST)
किसानों की आय बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने दो दर्जन से अधिक परियोजनाएं को दी स्वीकृति
किसानों की आय बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने दो दर्जन से अधिक परियोजनाएं को दी स्वीकृति

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार डेयरी प्रसंस्करण क्षेत्र पर विशेष जोर दे रही है। इसी के तहत सात राज्यों में लगभग चार हजार करोड़ रुपये की लागत से दो दर्जन से अधिक परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। प्रसंस्करण के साथ दुग्ध उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में भी कारगर पहल की गई है। डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए प्राइवेट क्षेत्र के साथ सहकारी क्षेत्रों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा।

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केंद्रीय पशुधन व मत्स्य पालन राज्यमंत्री डॉक्टर संजीव बालियान जागरण से बातचीत में कहा 'घरेलू दुग्ध उत्पादन की वृद्धि दर लगभग साढ़े छह फीसद है, जबकि विश्व स्तर पर दुग्ध की विकास दर मात्र 1.7 फीसद पर स्थिर है। लेकिन दुनिया में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन के बावजूद विश्व के निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी नाम मात्र की है, जिसे बढ़ाने की सख्त जरूरत है। सरकार ने इस दिशा में कारगर पहल की है, जिसके लिए डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकास फंड का गठन किया गया है।'

सात राज्यों के लिए 26 परियोजनाओं को मंजूरी 
दुग्ध प्रसंस्करण और उसके उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार के लिए डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निधि के तहत सात राज्यों के लिए 26 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं पर कुल लगभग चार हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। संगठित क्षेत्रों में दूध के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने की दिशा में विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।

डेयरी उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी के लिए गुणवत्ता की सख्त जरूरत है, जिसके लिए डेयरी संयंत्रों और उन्नत प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं। शुद्ध दूध और उसके उत्पादों के लिए आधुनिक डेयरी संयंत्रों की स्थापना की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पैठ बनाने को लेकर गुणवत्ता के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

गायों और भैंस में दूध की उत्पादकता बढ़ाने की पहल 
डाक्टर बालियान ने कहा कि घरेलू स्तर पर गायों और भैंस में दूध की उत्पादकता बढ़ाने के कई तरह पहल की गई है। इसमें राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत इनके नस्ल सुधार की दिशा में बहुत काम हुआ है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि फिलहाल घरेलू दुधारू पशुओं में सालाना औसतन 1806 किलो दूध देने की क्षमता है। जबकि विश्व का औसत स्तर प्रति दुधारू पशु 2310 किलो सालाना है।

18 राज्यों में सेंट्रल प्रयोगशालाएं स्थापित होगी
दूध की उत्पादकता बढ़ाने, दूध की गुणवत्ता में सुधार करने और उसके उत्पादों को बेहतर व अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने के लिए सरकार ने कई विकास योजनाएं शुरु की हैं। इसमें जिला व राज्य स्तर पर सहकारी सोसाइटियों को खास तौर पर तवज्जो दी गई है। मंत्रालय ने नेशनल प्रोग्राम फार डेयरी डवलपमेंट (एनपीडी) के तहत 313 डेयरी संयंत्रों में प्रयोगशाला स्थापित करने की मंजूरी दी है। इसके पहले चरण में 18 राज्यों में सेंट्रल प्रयोगशालाएं स्थापित की जानी हैं।

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