'मिशन जीरो वेस्ट' वाले शहरों को मिलेगा प्रोत्साहन
शहरों में रहने वाले लोगों को न शुद्ध हवा मिल पा रही है और न ही शुद्ध पेयजल।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। शहरी कूड़ा कचरा प्रबंधन सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में है। केंद्र की वित्तीय मदद भी स्वच्छता और कूड़ा प्रबंधन की रेटिंग से जोड़ी जाएगी। 'मिशन जीरो वेस्ट' वाले शहरों को सरकार विशेष रूप से प्रोत्साहित करेगी। शहरी आबोहवा को दुरुस्त रखने के दायित्व का पालन करना सभी स्थानीय निकायों का होगा। इसे हर जगह सख्ती से लागू किया जाएगा।
अंतररष्ट्रीय क्षेत्रीय मंच ने 'थ्री आर' सम्मेलन पहली बार भारत के इंदौर में किया गया है। कम कचरा पैदा करना, दोबारा उपयोग करना और रिसाइकिल जैसी थीम के साथ आयोजित होने वाले सम्मेलन में देश के 106 प्रमुख शहरों के महापौर भी हिस्सा लेंगे। शहरी निकायों के आला अफसरों को भी इसमें बुलाया गया है, जिन्हें वैश्विक स्तर पर कचरा प्रबंधन की दिशा में किये जा रहे उपायों को समझने का मौका लगेगा।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शहरी क्षेत्रों के कूड़ा प्रबंधन से एक नये तरह का उद्योग क्षेत्र पैदा होगा, जिससे रोजी रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। दरअसल, शहरों के बाहरी क्षेत्रों में कूड़ा डालने से हालात बहुत खराब हो गये हैं। शहरों में रहने वाले लोगों को न शुद्ध हवा मिल पा रही है और न ही शुद्ध पेयजल। बाहरी क्षेत्रों में पैदा होने वाली सब्जियों की खेती दूषित हो रही है। शहरी कूड़ों से निकलने वाले घातक रसायन यहां की मिट्टी को प्रदूषित कर रहे हैं।
संसाधनों के उचित प्रयोग से 21वीं सदी की सोच को पूरा करना इस सम्मेलन का उद्देश्य होगा। शहरी क्षेत्रों से निकलने वाले सालाना कूड़े को ठिकाने लगाने के उपायों पर वैश्विक स्तर पर आधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध हैं। इंदौर में होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इस क्षेत्र के विभिन्न पक्षकारों को आमंत्रित किया गया है। सम्मेलन का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब सरकार शहरी क्षेत्रों में शत प्रतिशत स्वच्छता और कूड़ा प्रबंधन करने को लेकर प्रतिबद्ध है।
इंदौर में आयोजित सम्मेलन के आखिरी दिन 12 अप्रैल को देश के उन प्रमुख शहरों को पुरस्कृत भी किया जाएगा, जिन्होंने स्वच्छता व कूड़ा प्रबंधन में बेहतरीन कार्य किया है। मिशन शून्य कचरा वाले शहरों को सरकार प्रोत्साहित करेगी। इसके लिए सम्मेलन में विभिन्न पक्षकारों को बुलाया गया है। भारत के शहरी क्षेत्र से सालाना 5.47 करोड़ टन कचरा निकलता है। उचित निपटान बंदोबस्त न होने से शहरों की आबोहवा के लिए ये खतरनाक साबित हो रहे हैं।