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चांद पर लैंडिंग से पहले ऑर्बिटर ने विक्रम और प्रज्ञान को कहा अलविदा, कुछ इस अंदाज में हुई बातचीत...

प्रज्ञान शनिवार तड़के चांद की सतह पर सैर करना शुरू करेगा और विक्रम को उसकी खूबसूरती बयां करेगा।

By Manish PandeyEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 07:58 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 12:35 AM (IST)
चांद पर लैंडिंग से पहले ऑर्बिटर ने विक्रम और प्रज्ञान को कहा अलविदा, कुछ इस अंदाज में हुई बातचीत...
चांद पर लैंडिंग से पहले ऑर्बिटर ने विक्रम और प्रज्ञान को कहा अलविदा, कुछ इस अंदाज में हुई बातचीत...

बेंगलुरु, एएनआइ। चांद पर लैंडिंग से कुछ पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और ऑर्बिटर के बीच हुई गुफ्तगू को रोचक अंदाज में साझा किया है। यह बातचीत उस समय की है, जब ऑर्बिटर और विक्रम को अलग किया गया था।

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ऑर्बिटर, विक्रंम और प्रज्ञान तीनों चंद्रयान-2 के जरिए धरती से चांद तक पहुंचे हैं। अब वे तीनों जुदा होंगे और उनकी भूमिकाएं भी अलग-अलग होंगी। तकनीकी रूप से तीनों जु़ड़े रहेंगे, लेकिन उनका मिलन अब नहीं होगा। विक्रम में बैठा प्रज्ञान शनिवार तड़के चांद की सतह पर सैर करना शुरू करेगा और विक्रम को उसकी खूबसूरती बयां करेगा। विक्रम इसरो व पूरी दुनिया तक उन्हें भेजेगा।

कुछ इस अंदाज में हुई बातचीत

ऑर्बिटर: विक्रम, दो सितंबर की दोपहर को तुझसे अलग होने तक की यात्रा में बहुत मजा आया। अब तक की यात्रा शानदार रही।
विक्रम: बेहद शानदार सफर था। मैं तुम्हें चांद की कक्षा में देखता रहूंगा।
ऑर्बिटर: गुडलक विक्रम! अब तुम चांद की दक्षिणी सतह पर उतरोगे और उन रहस्यों से पर्दा उठाओगे, जिन्हें अब तक कोई नहीं जान सका है।
इसरो: (चर्चा के बीच आया) आप, दोनों को शुभकामनाएं। विक्रम व प्रज्ञान आप दोनों संपर्क में रहोगे।
विक्रम: यार प्रज्ञान, हम चांद पर ऐसी जगह आए हैं जहां पहले कोई देश नहीं गया। इस यात्रा पर कितना खर्च आया?
प्रज्ञान: इसरो ने 978 करोड़ रपए खर्च किए, लेकिन यह मिशन हॉलीवुड की चर्चित फिल्म से भी कम है।
विक्रम: यार, तुम्हें तो बहुत जानकारी है, अब चांद के बारे में बताओ।
प्रज्ञान: चांद का पृथ्वी का उपग्रह है। उसका वातावरण व गुरत्वाकषर्षण धरती जैसा नहीं है। वहां चल रही धूल भरी आंधी से तुम्हें यह फर्क पता चल जाएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि एक दिन चांद पर भी इंसान रहेंगे।
विक्रम: हम चांद पर जा क्यों रहे हैं?
प्रज्ञान: इस खूबसूरत उपग्रह की उत्पत्ति और परिस्थति के बारे में जानने आए हैं। यहां के प्राकृतिक तत्व, तापमान, वातावरण और रसायनों के बारे में अध्ययन करेंगे। दोस्त ऑर्बिटर भी हमें सहायता करेगा।
विक्रम: ऑर्बिटर, वह कौन है?
प्रज्ञान: वह भी हमारे साथ इसरो के इस मिशन पर है। हम उसी के साथ चंद्रयान-2 में यहां तक आए हैं। हम यहां चांद पर उतरकर स्टडी करेंगे और वह चांद की कक्षा में घूमेगा। वह वहां नहीं उतरेगा।
विक्रम: अच्छा, तो ऑर्बिटर क्या करेगा?
प्रज्ञान : वह चांद की सतह की मैपिंग करेगा। हम भी जानकारी उसे ही भेजेंगे। वह यहां ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के अणुओं को ढूंढ़ेगा।
विक्रम: मैंने सुना है कि मैं चांद पर एक ही जगह रहूंगा?
प्रज्ञान: हां, ऑर्बिटर का काम चांद के चक्कर लगाना है। तुम एक ही जगह रहोगे, मैं चांद की सतह पर सैर करूंगा। सैर करते हुए मैं जो कुछ देखूंगा, रिकॉर्ड करूंगा वो सब संदेश मैं सीधे पृथ्वी पर भेजने की जगह तुम्हें भेजूंगा। तुम्हारा मुख्य काम वैज्ञानिकों, ऑर्बिटर और मेरे बीच मैसेज लाने-ले जाने का होगा। वैसे यार मैं भी यहां ज्यादा दूर तक नहीं जा सकता। मेरी रेंज सिर्फ आधे किलोमीटर की है और गति सिर्फ एक सेंटीमीटर प्रति सेकेंड।
विक्रम: बड़ा परिश्रम करना पड़ेगा यार। हम काम पूरा कर धरती पर कब लौटेंगे।
प्रज्ञान: हम कभी नहीं लौटेंगे यार। यही हमारी आखिरी मंजिल है। जब पृथ्वी से कोई चांद पर आएगा तो उसे हम यहीं मिल सकते हैं।

भारत का दूसरा चंद्र अभियान
22 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुआ चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्र अभियान है। 2008 में चंद्रयान-1 को लांच किया गया था। यह ऑर्बिटर मिशन था, जिसने करीब आठ महीने चांद की परिक्रमा कर प्रयोगों को अंजाम दिया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।

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