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मिशन राहुल में फिर कलमाड़ी के लाल

राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में भले ही देश को फायदे से ज्यादा छवि का नुकसान हुआ हो, लेकिन लगता है कि आयोजन समिति के अध्यक्ष रहे सुरेश कलमाड़ी की सेवाओं के कई बड़े कांग्रेसी नेता अब भी मुरीद हैं। सीबीआइ जांच और जेल जाने के चलते कांग्रेस नेतृत्व ने भले ही पुणे से सांसद सुरेश कलमाड़ी को किनारे कर दिया है, लेकिन उनके दो लालों को पार्टी के नेता अब भी छाती से लगाए घूम रहे हैं। कलमाड़ी के करीबियों तहसीन पूनावाला और शहजाद पूनावाला को विधानसभा चुनावों के दौरान

By Edited By: Published: Mon, 29 Jul 2013 06:30 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2013 08:24 AM (IST)
मिशन राहुल में फिर कलमाड़ी के लाल

नई दिल्ली [राजकिशोर]। राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में भले ही देश को फायदे से ज्यादा छवि का नुकसान हुआ हो, लेकिन लगता है कि आयोजन समिति के अध्यक्ष रहे सुरेश कलमाड़ी की सेवाओं के कई बड़े कांग्रेसी नेता अब भी मुरीद हैं। सीबीआइ जांच और जेल जाने के चलते कांग्रेस नेतृत्व ने भले ही पुणे से सांसद सुरेश कलमाड़ी को किनारे कर दिया है, लेकिन उनके दो लालों को पार्टी के नेता अब भी छाती से लगाए घूम रहे हैं। कलमाड़ी के करीबियों तहसीन पूनावाला और शहजाद पूनावाला को विधानसभा चुनावों के दौरान राहुल के मिशन यूपी में अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। अब भरसक कोशिश के बाद भी जब दोनों टीम राहुल में जगह नहीं बना पाए, तो उन्होनें परोक्ष रूप से दिल्ली और महाराष्ट्र के प्रवक्ता बनकर सेंध लगा ली है।

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टीवी पर बतौर कांग्रेस नेता व प्रवक्ता अपना पक्ष रखने वाले दोनों भाइयों में एक दिल्ली और दूसरा महाराष्ट्र प्रदेश कमेटी से नामित किया गया, लेकिन अब यह भी रहस्य है कि उनका नाम भेजा किसने। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने अपने यहां से प्रशिक्षण के लिए जितेंद्र कोचर, हरकिशन जिंदल, सत्येंद्र शर्मा, आलोक शर्मा और अमृता धवन के नाम भेजे थे। तहसीन या शहजाद पूनावाला को उन्होंने जानने से भी इन्कार किया। इसके बाद यह मामला और पेचीदा हो गया कि आखिर 22 और 23 जुलाई को दिल्ली में सभी राज्यों से आए पांच-पांच प्रवक्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्त्रम में दोनों भाई सेंध लगाने में कामयाब कैसे रहे। जवाहर भवन में चले दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्त्रम के बाद टीवी पर सबसे पहले बयान देने वाले तीन लोगों में सबसे आगे तहसीन पूनावाला ही थे। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह समेत कुछ अन्य बड़े नेता लगातार जोर लगा रहे थे कि टीवी और मीडिया से बात करने वाले 36 नेताओं की सूची में इनका नाम हो, लेकिन दोनों नामों को राहुल गांधी के कार्यालय से ही खारिज कर दिया गया। अब लोकसभा चुनावों से पहले तैयार हो रही कांग्रेस प्रवक्ताओं की फौज में दोनों भाई राहुल गांधी का मिशन आगे बढ़ाएंगे।

सीबीआइ राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन सलाहकार समिति में तहसीन पूनावाला समेत 19 लोगों की नियुक्ति में गड़बड़ियों की जांच कर रही थी। पिछले वर्ष जिस समय यह मामला चरम पर था तब भी दोनों को दिग्विजय ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की चुनावी योजना में बेहद अहम भूमिका सौंपी थी। इस मामले ने तूल पकड़ा, तो राहुल ने नाराजगी जताई थी। इसके बावजूद पूनावाला बंधु कांग्रेस नेताओं की आंखों के तारे बने रहे। यूपी चुनाव में कांग्रेस की मिंट्टी पलीत होने के बाद शहजाद पूनावाला को केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने अपने सहायक के तौर पर रख लिया। वहीं, तहसीन भी दिग्विजय समेत दूसरे नेताओं के लगातार संपर्क में रहे।

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