मंत्रीजी के रिश्तेदारों पर भी 'मेहरबानी'
रेल घूस कांड में पवन बंसल की रेल मंत्री के पद से छुट्टी बेशक हो गई हो लेकिन अब अफसरशाही का पसीना निकल रहा है। वजह है रेलवे में विकास कार्यो के लिए अफसरों द्वारा नामी कंपनी की टाइल नजरअंदाज कर बरनाला की कंपनी से टाइल खरीदने का दबाव बनाया जाना। बताया जाता है कि यह कंपनी मंत्रीजी के रिश्तेदार की है।
दीपक बहल, अंबाला। रेल घूस कांड में पवन बंसल की रेल मंत्री के पद से छुट्टी बेशक हो गई हो लेकिन अब अफसरशाही का पसीना निकल रहा है। वजह है रेलवे में विकास कार्यो के लिए अफसरों द्वारा नामी कंपनी की टाइल नजरअंदाज कर बरनाला की कंपनी से टाइल खरीदने का दबाव बनाया जाना। बताया जाता है कि यह कंपनी मंत्रीजी के रिश्तेदार की है। इस गोरखधंधे की भनक सीबीआइ को मिल चुकी है।
पवन बंसल का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र चंडीगढ़ और जन्मभूमि तपा (संगरूर) रेलवे स्टेशन अंबाला रेल मंडल में आता है। बंसल के रेल मंत्री बनने के बाद दिल्ली, सोनीपत, करनाल, अंबाला, चंडीगढ़, संगरूर, बठिंडा आदि रेलवे स्टेशनों पर विकास कार्य शुरू हो गए। अफसरों ने रेलवे स्टेशनों पर टाइल लगाने के लिए मंत्रीजी के रिश्तेदार की कंपनी का नाम एक-एक ठेकेदार और एसएसई डब्ल्यू (सीनियर सेक्शन इंजीनियर वकर््स) को रटा दिया। अंबाला मंडल में स्टेशनों पर टाइल लगाने का ठेका हुआ है। टेंडर के मुताबिक ठेकेदार आइएसआइ मार्का की कोई भी टाइल लगा सकता है। बताते हैं कि टेंडर खुलने के बाद शर्त एक खास कंपनी की टाइल लगाने की लगा दी गई। अंबाला ही नहीं बल्कि दिल्ली मंडल तक पंजाब से टाइल मंगवाने के लिए दबाव बनाया गया। बंसल के जाने बाद अब अधिकारी टाइल के सेंपल चेक करवाने में जुट गए हैं।
तबादला रुकवाने के लिए दावपेंच
पवन बंसल के रेल मंत्री बनने के बाद उनके निजी सचिव राहुल भंडारी ही तबादले पर विशेष निगरानी रखते थे। अंबाला मंडल में सीनियर डीईएन-टू का कार्यकाल पूरा हुआ था।
अधिकारी चाहते थे वे अंबाला में ही रहें क्योंकि चंडीगढ़ में अब बड़े-बड़े काम मिलेंगे। अधिकारी ने दावपेंच लगाकर डीईएन-वन की पोस्ट पर तबादला करवा लिया। डीईएन वन का फिरोजपुर तबादला हो गया था लेकिन उन्होंने ने भी दावपेंच लगाकर तबादला रुकवा लिया। अधिकारी ने मंत्री की गुड बुक में आने के लिए टाइल लगाने का दबाव दिया ताकि तबादला न हो और हो तो मलाईदार पोस्ट ही मिले। मंत्री रहते वक्त बंसल बरनाला में उक्त रिश्तेदार के आवास पर भी गए थे जहां से टाइल खरीदने का दबाव बनाया गया।
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