रेल मंत्रालय के भी विलय की तैयारी
रेल मंत्रालय के साथ विमानन, सड़क व राजमार्ग मंत्रालय और जहाजरानी को मिलाकर एक ही परिवहन मंत्रालय बनाने की तैयारी है।
नई दिल्ली[जयप्रकाश रंजन]। रेल बजट को आम बजट में मिलाना अगर एक साहसिक कदम है, तो इंतजार कीजिए राजग सरकार इससे भी बड़े फैसले की तैयारी में जुटी है। सरकार के भारी भरकम आकार के बारे में आम चुनाव 2014 से पहले काफी कुछ बोल चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब इसको लेकर गंभीर हैं। रेल बजट का आम बजट में विलय देश में समूचे परिवहन क्षेत्र के लिए एक ही मंत्रालय बनाने की दिशा में बढ़ाया गया पहला, लेकिन सबसे अहम कदम है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि रेल मंत्रालय के साथ विमानन, सड़क व राजमार्ग मंत्रालय और जहाजरानी को मिलाकर एक ही परिवहन मंत्रालय बनाने की तैयारी है। अभी सरकार के तीन मंत्री इन मंत्रालयों को संभालते हैं। सरकार की इस भावी रणनीति के संकेत रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने भी दे दिए। उन्होंने कहा कि रेल बजट के आम बजट में मिलाने के बाद देश में एक समग्र ट्रांसपोर्ट नीति बनाने का रास्ता निकलेगा।
सरकार ने एक दशक पहले ही समग्र परिवहन नीति बनाने का एलान किया था, मगर मंत्रालयों के आपसी मतभेदों व इनके बीच तालमेल की कमी की वजह से इसे लागू नहीं किया जा सका। मोदी सरकार में पहले ही तीन अलग-अलग मंत्रालयों- कोयला, बिजली और गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत की जिम्मेदारी एक ही मंत्री पीयूष गोयल को सौंपी जा चुकी है। इससे सरकार के खर्चे में काफी कमी हुई है। नीतियां भी तेजी से बनी है।
अभी तक तीनों मंत्रालयों की जिम्मेदारी अलग-अलग लोग संभालते रहे हैं। इसका अमल देश में सरकार की लागत घटाने के उद्देश्य से अभी तक की सबसे बड़ा कदम साबित होगा। रेल मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक हाल के महीनों में रेल किराये में की गई वृद्धि पर विचार है।
एक घंटे की फ्लाइट के लिए किराया तय करने की नीति या देश के भीतर जलमार्गों को बढ़ावा देने के कदम समग्र ट्रांसपोर्ट नीति को ध्यान में रखकर ही उठाए गए हैं। सरकार चाहती है कि एक दशक के भीतर सभी परिवहन माध्यमों के बीच ग्राहकों व उद्योग को आकर्षित करने के लिए एक स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा हो। इसका रेल पर भी असर होगा। इससे रेल किराया बढ़ सकता है, लेकिन माल भाड़े में कमी होगी।
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