मोदी पर बंटे मंत्री और विदेश मंत्रालय
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के अमेरिकी राजदूत नैंसी पॉवेल के आग्रह पर विदेश मंत्रालय के राजनयिक खेमे और राजनीतिक नेतृत्व की दरार सामने आ गई है।
नई दिल्ली, प्रणय उपाध्याय। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के अमेरिकी राजदूत नैंसी पॉवेल के आग्रह पर विदेश मंत्रालय के राजनयिक खेमे और राजनीतिक नेतृत्व की दरार सामने आ गई है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने साफ जता दिया कि उन्हें मोदी से दोस्ती का हाथ बढ़ाने का अमेरिकी प्रयास रास नहीं आया है। हालांकि, राजनयिक खेमे ने सियासी विवाद से बचते हुए मोदी-पॉवेल मुलाकात को सामान्य प्रक्रियात्मक कदम बताते हुए आगे बढ़ाया।
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद मोदी से मेलजोल पर अमेरिका को स्वतंत्र बताने के साथ ही इस कदम पर अपनी खिन्नता जताने से नहीं चूके। खुर्शीद ने कहा कि मोदी भारत के ब्रांड अंबेसडर नहीं हो सकते और ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें न तो अमेरिका को भूलना चाहिए और न हम भुला सकते हैं। विदेश मंत्री के मुताबिक इस बारे में निर्णय उनका है, लेकिन हमारे नजरिये में कुछ सीमाएं हैं, जिनका राजनयिकों को ध्यान रखना चाहिए। खुर्शीद ने गुजरात दंगों को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह देखना रोचक होगा कि मानवाधिकारों को लेकर दुनिया को नसीहत देने वाले अमेरिका की राजदूत मोदी से क्या कहती हैं।
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महत्वपूर्ण है कि अमेरिकी राजदूत की ओर से मोदी से मुलाकात के लिए प्रस्ताव जनवरी के अंत में विदेश मंत्रालय भेजा गया था। इसको लेकर विदेश मंत्रालय के भीतर भी चले मंथन के बाद राजनयिक खेमे का रुख स्पष्ट था कि सामान्यतया मुलाकात के ऐसे आग्रह को नकारा नहीं जा सकता है। इस मुलाकात से जुड़े सवालों पर विदेश मंत्रालय प्रवक्ता सैय्यद अकबरुद्दीन ने कहा कि हमारे नजरिये में यह भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते वाले एक मुल्क के राजदूत और एक राज्य में निर्वाचित व संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से मुलाकात है।
उल्लेखनीय है कि चुनावी मौसम में विदेश मंत्रालय की अफसरशाही भी ऐसा कोई जोखिम नहीं उठाना चाहेगी, जिसको लेकर बाद में उन्हें किसी परेशानी का सामना करना पड़े।
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