जिस MSP को लेकर बरपा है हंगामा, वह किसान ही नहीं सरकार के लिए भी है जरूरी, जानें क्यों
न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने के लिए किसान आंदोलन कर रहे हैं। एमएसपी के बारे में कहा जा रहा है कि यह किसानों के लिए भले ही जरूरी हो लेकिन यह केंद्र की मजबूरी भी है। जानें कैसे...
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को कानूनी जामा पहनाने के लिए पंजाब के किसान संगठनों के आंदोलन के बीच वहां के किसानों ने खरीफ सीजन में सरकारी खरीद केंद्रों पर जमकर धान बेचा है। कुल सरकारी खरीद में अकेले पंजाब के किसानों की हिस्सेदारी दो-तिहाई से अधिक हो चुकी है। दरअसल, एमएसपी किसानों के लिए तो जरूरी है ही यह केंद्र की मजबूरी भी है।
राशन प्रणाली के लिए उसे हर साल छह करोड़ टन से अधिक अनाज चाहिए। सरकार के लिए खुले बाजार से अनाज खरीदना खजाने पर भारी पड़ सकता है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू सीजन में अब तक कुल खरीद लगभग 3.5 करोड़ टन पहुंच गई है। इसमें अकेले पंजाब से 2.24 करोड़ टन धान की खरीद की गई है। राज्य में यह खरीद पिछले वर्षों के मुकाबले भी अधिक है। एमएसपी को लेकर राज्य के किसानों को कोई संदेह नहीं है।
पंजाब में पिछले मार्केटिंग सीजन के मुकाबले अब तक हुई खरीद 69 फीसद अधिक हो गई है। पंजाब में सुनिश्चित सरकारी खरीद होने की वजह से आमतौर पर निजी व्यापारिक प्रतिष्ठान मंडियों में खरीद करने नहीं आते हैं। राज्य के निजी चावल मिलों में दूसरे राज्यों से धान की आवक होती है। मंडियों में एमएसपी वाली फसलों के कारोबार सामान्य तौर पर नहीं किए जाते हैं। राज्य के किसानों को एमएसपी का सबसे ज्यादा लाभ मिल रहा है।
पंजाब के किसान यूनियनों को एमएसपी खत्म करने को लेकर आशंका है। इस पर उन्हें जबर्दस्त एतराज हैं। हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से संसद के पटल पर इस बात का भरोसा दिया गया है कि एमएसपी पहले की तरह ही जारी रहेगी। मंडियों अस्तित्व बना रहेगा। किसानों से उनकी उपज की सरकारी खरीद में कोई कोताही नहीं की जाएगी। इसके बावजूद किसान यूनियनों का आंदोलन दिल्ली तक पहुंच गया है, जिसे लेकर सरकार के साथ उनकी कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है।
बृहस्पतिवार को चौथे दौर बातचीत में कुछ नतीजे निकल सकते हैं। खरीफ फसलों की खरीद निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सभी धान उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड, तमिलनाडु, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर, केरल, गुजरात, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा में हो रही है। लेकिन पंजाब में हर बार की तरह इस बार भी सर्वाधिक धान खरीद हुई है। सरकारी खरीद का लाभ कुल 30 लाख किसानों को मिल चुका है।