प्रदूषण से चीन की हालत खराब; थम नहीं रहा मौतों का सिलसिला, सालाना 16 लाख लोगों की मौत
रिपोर्ट के मुताबिक हर साल वायु प्रदूषण से चीन के 16 लाख लोगों की असमय मौत हो रही है। सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में ही जीवाश्म ईंधन जलाने से 6 लाख लोगों की जान जा रही है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। प्रदूषण से लड़ने के लिए चीन भले ही अपना पूरा जोर लगा रहा हो, सब तरह के उपाय कर रहा हो, लेकिन लोगों के स्वास्थ्य को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करना चीन के लिए मुमकिन नहीं होगा। यहां वायु प्रदूषण और स्मॉग लाखों लोगों की सेहत बिगाड़ चुका है। यही वजह है कि यहां मौतों का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है।
अमेरिका स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल वायु प्रदूषण से चीन के 16 लाख लोगों की असमय मौत हो रही है। सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में ही जीवाश्म ईंधन जलाने से 6 लाख लोगों की जान जा रही है।
बड़े उपायों का छोटा असर
चीन ने पिछले साल अपने 328 शहरों में पीएम 2.5 कणों में 6.5 फीसद की कटौती की। सर्दी के मौसम में औद्योगिक उत्पादन, कोयले की खपत और यातायात में कटौती का अभियान चलाया गया, जिससे स्मॉग प्रभावित उत्तरी क्षेत्रों में 2013-2017 के बीच वायु गुणवत्ता के मानकों को पा लिया गया। बावजूद इसके चीन में समग्र वायु गुणवत्ता देश के तय मानकों से कम है। इसके चलते वृद्धजनों की संख्या बढ़ने के साथ मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जाएगा।
वृद्ध आबादी पर खतरा
वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियां सबसे ज्यादा उम्रदराज लोगों को अपने शिकंजे में लेती हैं। यहां मौत की मुख्य वजह स्ट्रोक, दिल का दौरा और फेफड़ों का कैंसर है। यह सभी बीमारियां वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं। 2017 में चीन में 60 साल से अधिक उम्र के 24 करोड़ लोग थे, जो आबादी का 17.3 फीसद थे। 2035 तक वृद्धजनों की संख्या 40 करोड़ हो जायेगी।
पीएम 2.5
ऐसे प्रदूषणकारी तत्व जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है, पीएम 2.5 कहलाते हैं। ठोस और तरल पदार्थों के मिश्रण से बने यह कण मनुष्य के फेफड़ों और रक्त प्रवाह तक पहुंचकर श्वास संबंधी बीमारियां पैदा करते हैं। अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार प्रति मीटर घन हवा में सिर्फ 25 माइक्रोग्राम पीएम 2.5 कण होना चाहिए।
ऐसे रोकेगा प्रदूषण
- पिछले साल चीन में 43 माइक्रोग्राम पीएम 2.5 था जो बीजिंग, तिआंजिन और हेबई जैसे औद्योगिक क्षेत्र में 65 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया।
- चीन ने पीएम 2.5 को 2035 तक 35 माइक्रोग्राम तक सीमित करने का अंतरिम राष्ट्रीय मानक तय किया है।
- हालिया उपायों में स्मॉग एक्शन प्लान 2018-2020 तैयार किया गया है।
- इसके तहत वह जीवाश्म ईंधन का प्रयोग घटाने और बायो गैस के अधिक इस्तेमाल की तैयारी कर रहा है।
- साथ ही पीएम 2.5 उत्सर्जित करने वाली इकाइयों को भी हटाने की योजना बना रहा है।