उच्च शिक्षा में भारत की साख बढ़ाने में अब ब्रिटेन करेगा मदद, UK में मिलेगा प्रशिक्षण
करीब तीन सौ प्राध्यापकों और प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। फिलहाल इन सभी लोगों को प्रशिक्षण के लिए ब्रिटेन भेजा जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने की मुहिम में अब उनमें पढ़ाने वाले शिक्षकों और प्रशासनिक अधिकारियों की सोच को भी निखारा जाएगा। केंद्र सरकार ने इसे लेकर ब्रिटेन से हाथ मिलाया है। इसके तहत भारतीय विवि और उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले वरिष्ठ प्राध्यापकों और प्रशासनिक अधिकारियों को लीडरशिप की एक खास ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे उच्च शिक्षण संस्थानों की साख को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बुधवार को ब्रिटेन के साथ मिलकर इस नए लीडरशिप प्रोग्राम की शुरुआत की है। फिलहाल यह पूरा कार्यक्रम यूजीसी और ब्रिटिश काउंसिल की देखरेख में संचालित होगा। इसके तहत पहले ही साल में करीब तीन सौ प्राध्यापकों और प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। फिलहाल इन सभी लोगों को प्रशिक्षण के लिए ब्रिटेन भेजा जाएगा जहां इन्हें ब्रिटेन के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के जुड़े प्रशासक प्रशिक्षण देंगे। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इसे अनूठा कार्यक्रम बताते हुए कहा कि इससे भारतीय विवि की लीडरशिप क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा समय में भारतीय संस्थानों को जिस तेजी से विश्वस्तरीय बनाने का काम चल रहा है, उनमें ऐसे कदम जरूरी हो गए थे। वैसे भी भारत उच्च शिक्षा का एक बड़ा हब बनने को लेकर लालायित है। उसकी निगाहें जहां विदेश में पढ़ने के लिए हर साल जाने वाले छात्रों को रोकने पर है, वहीं स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम के तहत ज्यादा से ज्यादा विदेशी छात्रों को भारत की ओर आकर्षित करने पर टिकी है।
हालांकि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षक और प्रशासनिक अधिकारियों के नजरिए को भी वैश्विक स्वरूप देना जरूरी है। जिसमें नए दृष्टिकोण, क्षमता, साधन और कौशल के साथ विश्वविद्यालयों में बदलाव लाने का जुनून हो। भारतीय संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने की मुहिम में सरकार पहले से ही कई अहम कदमों पर काम कर रही है। इनमें शिक्षकों की गुणवत्ता के साथ शोध कार्यो को गति दी गई है। वैसे भी उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय रैकिंग में जगह बनाने के लिए शोध कार्य सबसे अहम होते है।