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कैंटीन और ऑफिस में स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं सीएपीएफ, विदेशी ब्रांडों का करें त्याग

सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) को विदेशी ब्रांड की वस्तुएं त्यागने का आदेश दिया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 10:29 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 10:29 PM (IST)
कैंटीन और ऑफिस में स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं सीएपीएफ, विदेशी ब्रांडों का करें त्याग
कैंटीन और ऑफिस में स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं सीएपीएफ, विदेशी ब्रांडों का करें त्याग

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ, सीआइएसएफ, आइटीबीपी, एसएसबी, बीएसएफ और असम राइफल्स जैसे सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) को विदेशी ब्रांड की वस्तुएं त्यागने का आदेश दिया है। साथ ही अपनी कैंटीनों और ऑफिसों में स्वदेशी वस्तुएं अपनाने का निर्देश दिया है। इन वस्तुओं में खाद्य पदार्थ, घरेलू वस्तुएं और कपड़े शामिल हैं।

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मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, देशभर की 1,700 से ज्यादा सेंट्रल पुलिस कैंटीनों (सीपीसी) में इन नई वस्तुओं की खरीद स्वदेशी की जाए। इसके अलावा जब वर्तमान वस्तुओं को बदलने का समय हो तो उन्हें भी स्वदेशी वस्तुओं से बदला जाए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'इस आदेश का मकसद इन वस्तुओं के स्थानीय उत्पादकों की आय में वृद्धि और उनके स्तर में बढ़ोतरी करना है। इसके अलावा स्वदेशी उत्पादों और उद्योग को बढ़ावा देना भी है। वर्तमान में इन बलों में करीब 10 लाख जवान हैं और वे हर साल करोड़ों रुपये का सामान इन कैंटीनों से खरीदते हैं।'

इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने इन कैंटीनों का वित्तीय अनुदान भी बढ़ाने का फैसला किया है क्योंकि सरकार ने इन कैंटीनों को सैन्य बलों की कैंटीनों की तर्ज पर जीएसटी से मुक्त करने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है।

सीएपीएफ जवान साल में सौ दिन परिवार के साथ रहें: शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएपीएफ को बड़े स्तर पर ऐसी योजना बनाने का निर्देश दिया है ताकि इन बलों के जवान साल में कम से कम 100 दिन अपने परिवार के साथ बिता सकें। अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि अमित शाह को पिछले महीने सीएपीएफ की कार्यपद्धति पर एक प्रेजेंटेशन दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने निर्देश दिया कि इन बलों के जवानों की तैनाती के विवरण का डिजिटलीकरण किया जाए ताकि मैनपॉवर का बेहतर इस्तेमाल किया जा सके। अधिकारियों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्री के निर्देश का मतलब यह है कि जवानों को उनकी यूनिटों के नजदीक तैनात किया जाएगा और जब तक ऑपरेशनल मजबूरी न हो वे अपने परिवारों के साथ रह सकें। सीएपीएफ को ऐसी योजना बनाने के लिए दो महीने का वक्त दिया गया है।


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