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INS शिवाजी पर नेवी के एमईएससी के 89वें बैच ने 105 सप्ताह का प्रशिक्षण पूरा किया

आइएनएस शिवाजी के कमान अधिकारी और स्टेशन कमांडर लोनावला कमाडोर रवनीश सेठ ने कोर्स पूरा होने वाले समारोह का निरीक्षण किया।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 09:37 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 09:37 AM (IST)
INS शिवाजी पर नेवी के एमईएससी के 89वें बैच ने 105 सप्ताह का प्रशिक्षण पूरा किया
INS शिवाजी पर नेवी के एमईएससी के 89वें बैच ने 105 सप्ताह का प्रशिक्षण पूरा किया

पुणे, प्रेट्र। नौसेना के मरीन इंजीनियरिंग स्पेशलाइजेशन कोर्स (एमईएससी) के 89वें बैच ने आइएनएस शिवाजी पर सफलतापूर्वक 105 सप्ताह का पेशेवर प्रशिक्षण पूरा कर लिया। रक्षा विज्ञप्ति में कहा गया है कि आइएनएस शिवाजी के कमान अधिकारी और स्टेशन कमांडर लोनावला कमाडोर रवनीश सेठ ने कोर्स पूरा होने वाले समारोह का निरीक्षण किया। मरीन इंजीनियरिंग स्पेशलाइजेशन कोर्स के तीन कठिन चरणों में अधिकारियों को सजीव उपकरणों, अत्याधुनिक सिमुलेटरों तथा ट्रेनर किट पर प्रशिक्षण दिया गया और उन्हें समग्र क्लासरूम निर्देश दिए गए।अधिकारियों को 26 सप्ताह तक नौसेना और तटरक्षक के समुद्र में तैरते हुए पोत पर प्रशिक्षण दिया गया। यह कदम 'इंजन रूम वाचकीपिंग सर्टिफिकेट' के लिए उठाया गया।

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रक्षा विज्ञप्ति में कहा गया है कि अब ये लोग अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों पर सहायक और वरिष्ठ इंजीनियर अधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए तैयार हैं।लेफ्टिनेंट भरत कंडपाल को 'बेस्ट ऑल राउंड अधिकारी' के लिए 'हैमर' से सम्मानित किया गया तथा 'बेहतरीन खिलाड़ी' के लिए वाइस एडमिरल दया शंकर रॉलिंग ट्रॉफी लेफ्टिनेंट दिव्यांश सिंगला को प्रदान की गई। बांग्लादेश नौसेना के लेफ्टिनेंट सीडीआर मुहम्मद मेहेदी हसन को एफओसी-इन-सी (दक्षिण) रॉलिंग ट्राफी प्रदान की गई। प्रशिक्षण पाने वाले इस बैच में 37 भारतीय अधिकारी और 11 श्रीलंका, म्यांमार, तंजानिया, सूडान, फिजी और बांग्लादेश के अधिकारी शामिल थे।

नेविगेशन का नया अस्त्र बनेगा ध्रुव

स्मार्ट डिवाइस और आईओटी के युग में नेविगेशन एक आवश्यक फीचर है, जिसका इस्तेमाल हम विभिन्न पर्सनल और कमर्शियल अप्लीकेशंस में करते हैं। यह हमारे एक जगह से दूसरी जगह ट्रेवल करने के दौरान भी काफी मददगार होता है। ओला/उबेर भी नेविगेशन का प्रयोग कर एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। इसी नेविगेशन की वजह से स्विगी या अन्य कंपनियां खाना डिलीवर करते हैं। यह टेक्नोलॉजी एरियल और मैरिन नेविगेशन में होती है।

नेविगेशन टेक्नोलॉजी से राष्ट्र अपनी टेरीटरी, अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने और आपदा रिस्पांस को मैनेज करने का काम करता है। इन्हीं जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आईआईटी मुंबई के शोधकर्ताओं ने एक नेविगेशन रिसीवर आरएफ फ्रंट इंड इंट्रीग्रेटेड सर्किट (आईसी चिप) ध्रुव का निर्माण किया है, जिसका इस्तेमाल नेविगेशन में हो सकता है।


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