जमात-ए-इस्लामी, अलगाववादियों के खिलाफ नहीं होने दी कार्रवाई: महबूबा
राज्य ब्यूरो जम्मू पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि र
By Edited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 02:23 AM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 02:24 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, जम्मू : पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि राज्य में गठबंधन सरकार के समय भाजपा जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाना चाहती थी और हुर्रियत के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती थी, लेकिन उन्होंने अपनी सरकार में ऐसा नहीं होने दिया।
बांडीपोरा जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए महबूबा ने कहा कि भाजपा राष्ट्रीय जांच एजेंसी के माध्यम से अलगाववादियों को दबाने का प्रयास करना चाहती थी। मगर उन्होंने अपने कार्यकाल में ऐसी कार्रवाई की इजाजत नहीं दी।
उन्होंने यह भी दावा कि भाजपा हुर्रियत के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक और सैयद अली शाह गिलानी पर भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा छापे मरवाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने ऐसी किसी भी कार्रवाई की विरोध किया था। उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान कश्मीर में पोटा और एनआइए ने अपने पैर पसारे।
महबूबा ने यह भी कहा कि उन्होंने भाजपा को एक महीने के लिए कश्मीर में संघर्ष विराम के लिए विवश किया परंतु आतंकवादियों ने इसे सफल नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि वह चाहती थीं कि अलगाववादियों के साथ बातचीत हो। साल 2016 में कश्मीर में संसदीय समिति भी आई थी, लेकिन अलगाववादियों ने अपने दरवाजे बंद कर दिए थे। केंद्र सरकार ने दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार नियुक्त किया। मगर अलगाववादियों ने इसका भी विरोध किया और उनका समर्थन नहीं किया।
बांडीपोरा जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए महबूबा ने कहा कि भाजपा राष्ट्रीय जांच एजेंसी के माध्यम से अलगाववादियों को दबाने का प्रयास करना चाहती थी। मगर उन्होंने अपने कार्यकाल में ऐसी कार्रवाई की इजाजत नहीं दी।
उन्होंने यह भी दावा कि भाजपा हुर्रियत के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक और सैयद अली शाह गिलानी पर भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा छापे मरवाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने ऐसी किसी भी कार्रवाई की विरोध किया था। उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान कश्मीर में पोटा और एनआइए ने अपने पैर पसारे।
महबूबा ने यह भी कहा कि उन्होंने भाजपा को एक महीने के लिए कश्मीर में संघर्ष विराम के लिए विवश किया परंतु आतंकवादियों ने इसे सफल नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि वह चाहती थीं कि अलगाववादियों के साथ बातचीत हो। साल 2016 में कश्मीर में संसदीय समिति भी आई थी, लेकिन अलगाववादियों ने अपने दरवाजे बंद कर दिए थे। केंद्र सरकार ने दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार नियुक्त किया। मगर अलगाववादियों ने इसका भी विरोध किया और उनका समर्थन नहीं किया।
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