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मेघालय: खदान की तलहटी तक नहीं पहुंचे नौसेना, एनडीआरएफ के गोताखोर, आज फिर जाएंगे

पानी की गहराई बहुत ज्यादा है। गोताखोर 70 फीट निचे गए थे, लेकिन इसके बाद भी वे जमीन की सतह तक नहीं पहुंच सके।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 30 Dec 2018 10:24 PM (IST)Updated: Sun, 30 Dec 2018 10:24 PM (IST)
मेघालय: खदान की तलहटी तक नहीं पहुंचे नौसेना, एनडीआरएफ के गोताखोर,  आज फिर जाएंगे
मेघालय: खदान की तलहटी तक नहीं पहुंचे नौसेना, एनडीआरएफ के गोताखोर, आज फिर जाएंगे

शिलांग, प्रेट्र। 370 फीट गहरी कोयला खदान में फंसे 15 मजदूरों को बचाने के लिए विभिन्न एजेंसियों ने रविवार को अभियान शुरू कर दिया। इसका अभी तक कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल पाया है क्योंकि नौसेना और एनडीआरएफ के गोताखोर खदान की तलहटी तक नहीं पहुंच सके। सोमवार को गोताखोर तलहटी तक पहुंचने का प्रयास करेंगे।

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नौसेना के दल का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट कमांडर संतोष खेटवाल खदान के वर्टिकल शाफ्ट तक गए। गोताखोरों को उतारने से पहले उन्होंने स्थिति का आकलन किया और उसके बाद संयुक्त अभियान शुरू हुआ। पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के पुलिस अधीक्षक स्यल्वेस्टर नानगत्यंगेर ने कहा, 'नौसेना और एनडीआरएफ के छह गोताखोर खदान में जाने के रास्ते तक पहुंचे और पानी की सतह से 80 फीट गहराई तक उतरे। वहां उन्होंने दो घंटे से ज्यादा समय तक मजदूरों की तलाश की।'

नौसेना अधिकारियों के मुताबिक, सतह से खदान की तलहटी तक 150 फीट से ज्यादा पानी है। एनडीआरएफ टीम का नेतृत्व कर रहे संतोष कुमार ने कहा कि सोमवार को फिर से गोताखोर खदान की तलहटी तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। गौरतलब है कि खनिक 13 दिसंबर को पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के लुमथारी गांव के समीप पहाड़ी पर स्थित खदान में समीप बहने वाली ल्यतेइन नदी का पानी भर जाने के बाद से अंदर फंसे हैं।

संतोष कुमार के अनुसार पानी की गहराई बहुत ज्यादा है। गोताखोर 70 फीट नीचे गए थे, लेकिन इसके बाद भी वे जमीन की सतह तक नहीं पहुंच सके। इससे पहले जलस्तर का पता लगाने के लिए रविवार दोपहर में दल ने खदान में प्रवेश किया था। 370 फीट गहरी खदान में पानी भर जाने के बाद 15 मजदूर 13 दिसंबर से फंसे हुए हैं। 

उन्होंने बताया कि पानी काफी ठंड़ा है, जिससे गोताखोरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। सोमवार को नौसेना की टीम अपने उपकरणों के साथ अंदर जाएगी। उम्मीद है कि कल हमें बेहतर नतीजा मिलेगा।

नौसेना के गोताखोर और उनके उपकरण 1:30 बजे दिन में पहुंच गए। इसके बाद नौसैनिकों ने मुख्य सुरंग में जलस्तर की वास्तविक स्थिति का पता लगाने का काम शुरू किया। बचाव दल के साथ ओडिशा से 10 शक्तिशाली पंप लाए गए हैं। अभी तक पंप ने काम शुरू नहीं किया है और गोताखोरों को भी तैयार रखा गया है। जिले के अधिकारियों ने बताया कि नौसेना जलस्तर का पता लगाना चाहती है ताकि उसके गोताखोर 100 फीट भीतर तक जाकर अपना काम कर सकें।

अधिकारी ने कहा कि विभिन्न एजेंसियों के करीब 200 बचावकर्ता घटनास्थल पर तैनात हैं। ओडिशा दमकल सेवा का एक दल अपने साथ 10 उच्च क्षमता वाले पंप लेकर आया है। पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के पुलिस अधीक्षक स्यल्वेस्टर नानगत्यंगेर ने बताया कि कम से कम दो पंपों को खदान के अंदर जल के स्तर तक ले जाना होगा।

ओडिशा के मुख्य दमकल अधिकारी एस. सेठी ने बताया कि उनके दल को पंप से पानी बाहर निकालने का काम दिया गया है और वे इस काम के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हमारी बस यही चिंता है कि अगर अब हम पंप लगाते हैं तो कार्बन खींचने से खदान के अंदर घुटन हो सकती है। उन्होंने बताया कि बाकी के आठ पंपों को इलाके में चिह्नित किए गए विभिन्न स्थानों पर लगाया जाएगा।

रांची, धनबाद और आसनसोल से आ रहे पंप
सीआइएल कोलकाता के जीएम एके भराली ने बताया कि एक उच्च क्षमता वाला सबमर्सिबल पंप सीआइएल रांची से रविवार को पहुंच रहा है। इसमें प्रति मिनट 500 गैलन तक पानी निकालने की क्षमता है। चार दिन पहले यहां पहुंचे भराली ने कहा कि खदान में जैसे ही जेनरेटर और प्लेटफार्म उपलब्ध होंगे तभी पानी निकालने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रांची, धनबाद और आसनसोल में सीआईएल केंद्रों से पांच और पंप आ रहे हैं और वे किसी भी समय आ सकते हैं।

गौरतलब है कि खनिक 13 दिसंबर को पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के लुमथारी गांव के समीप पहाड़ी पर स्थित खदान में समीप बहने वाली ल्यतेइन नदी का पानी भर जाने के बाद से अंदर फंसे हैं।


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