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मेघालय हाई कोर्ट के जज की विवादित टिप्पणी हटाने की मांग पर नोटिस

मेघालय हाई कोर्ट के जस्टिस सुदीप रंजन सेन ने कहा था कि 1947 में बंटवारे के बाद भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 07:06 PM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 07:07 PM (IST)
मेघालय हाई कोर्ट के जज की विवादित टिप्पणी हटाने की मांग पर नोटिस
मेघालय हाई कोर्ट के जज की विवादित टिप्पणी हटाने की मांग पर नोटिस

 नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय हाई कोर्ट के जस्टिस सुदीप रंजन सेन की विवादित टिप्पणी हटाने की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट की रजिस्ट्री से जवाब तलब किया है। जस्टिस सेन ने कहा था कि 1947 में बंटवारे के बाद भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था।

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प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सोना खान व अन्य की याचिका पर मेघालय हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि इस टिप्पणी के साथ मेघालय हाई कोर्ट के जज का फैसला कानूनी रूप से गलत और ऐतिहासिक रूप से भ्रामक है। 

सर्वोच्च अदालत ने इससे पहले इस याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया था। तब याचिका में जस्टिस सेन को न्यायिक कार्यों से हटाने की मांग की गई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता कहा था कि वह जज के फैसले से विवादित टिप्पणी को हटाने की मांग कर सकती है।

जस्टिस सेन ने अपने फैसले में कहा था, 'धर्म के आधार पर हुए बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित किया, भारत को भी खुद को हिंदू देश घोषित करना चाहिए था, लेकिन वह धर्मनिरपेक्ष देश बना रहा।' उन्होंने आगे कहा था, 'आज भी, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदुओं, सिखो, जैनियों, बौद्धों, ईसाइयों, पारसियों, खासी, जैनतिया और गारो को यातनाएं दी जा रही हैं और उनके पास कहीं जाने का विकल्प भी नहीं है। बंटवारे के समय जो हिंदू इन देशों से भारत में आए थे, उन्हें अभी भी विदेशी माना जाता है, जो मेरी समझ से बहुत अतार्किक, गैरकानूनी और स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है।'

याचिका में कहा गया है कि जज की टिप्पणी नागरिक कानून का उल्लंघन है। यह भारत और हिंदुओं के अस्तित्व पर भी सवाल खड़े करती है।


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