जुनून और संघर्ष की राह ने इन महिलाओं को थमा दिया ट्रक का स्टेयरिंग
हिमाचल के सोलन जिले के अर्की तहसील के बागी गांव की रहने वाली नील (36) प्रदेश की पहली महिला ट्रक चालक हैं। वह एक साल से ट्रक चलाती हैं और देश के कई राज्यों तक सीमेंट पहुंचाती हैं।
आशीष गुप्ता, दाड़लाघाट (सोलन)। हिमाचल प्रदेश में मौजूद दुनिया की सबसे खतरनाक सड़कों में जहां बड़े बड़े चालकों के पसीने छूट जाते है....वहां दो महिला चालक ऐसी भी हैं, जो बिना किसी डर के ट्रक चलाती हैं। न उसके चेहरे पर कोई भय नजर आता है न ही कोई शिकन। कुछ नजर आता है तो ऐसे दुरुह पहाड़ों में ट्रक को चलाने का उत्साह। इनमें एक महिला चालक जहां परिवार की मजबूरियों के कारण चालक बनने को मजबूर हुई तो दूसरी ने गहरी खाईयों के किनारे बनी सड़कों में ट्रक चलाने के अपने जनून को पूरा करने के लिए यह रास्ता चुना। आइए आप भी जानें इनके बारे में इनमें...
संघर्ष की राह पर आगे बढ़ते हुए जहां सोलन के अर्की की नीलकमल महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हैं। नील कमल ने पति की मौत के बाद कर्ज चुकाने और बच्चों की परवरिश के लिए स्टेयरिंग संभाला। अर्की निवासी नील कमल के संघर्ष की कहानी जिसने भी सुनी उसने दांतों तले उंगली दबा ली। उन्होंने वह कर दिखाया है जो पुरुष भी कम ही कर पाते हैं। ट्रांसपोर्टर पति की मौत के बाद टूट चुकी नीलकमल ने हिम्मत नहीं हारी और आज अपने हौंसले से दूसरों के लिए मिसाल बन गई हैं। पति का साथ छूटने के बाद नील ने न सिर्फ परिवार को संभाला, बल्कि ट्रक चालक बनकर दुनियाभर की महिलाओं के लिए मशाल पेश की। हिमाचल के सोलन जिले के अर्की तहसील के बागी गांव की रहने वाली नील (36) प्रदेश की पहली महिला ट्रक चालक हैं। वह एक साल से ट्रक चलाती हैं और देश के कई राज्यों तक सीमेंट पहुंचाती हैं।
वहीं दूसरी युवती किन्नौर की ही 25 वर्षीय युवती पूनम नेगी 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से आराम से ट्रक चलाती है। पूनम नेगी ने केवल अपने जनून के कारण इस राह को चुना।
हिमाचल के सोलन जिले के अर्की तहसील के बागी गांव की रहने वाली नील ने बताया कि पति की मौत के बाद सदमे से उबरने के अलावा दो ट्रकों की जिम्मेदारी भी नीलकमल के कंधों पर आ गई। महिला के स्टेयरिंग संभालने की मजबूरी उसके हालात बने। यहां एक ट्रक का कर्जा अभी देना बाकि था, महिला ने उसके लिए ट्रकों को चालकों के हाथ दिया लेकिन ट्रक चालकों के रवैये ने उन्हें खुद ही स्टेयरिंग संभालने को मजबूर कर दिया। मजबूर इरादे और हौंसले वाली इस महिला ने पहले ट्रक चलाना सीखा और फिर अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी बागा से हिमाचल और देश के अन्य राज्यों तक सीमेंट सप्लाई का काम शुरू कर दिया। नील कमल बताती हैं कि अब उन्हें ट्रांसपोर्टर और ट्रक चालक की भूमिका परेशान नहीं करती। सीमेंट सप्लाई टूर के दौरान कई बार रात को ट्रक में ही विश्राम करना पड़ता है, जिसे वह पूरे आत्मविश्वास के साथ कर लेती हैं।
नील कमल का बेटा निखिल 14 साल का है। एक मां होने के नाते आजीविका कमाने के लिए नील के सामने असाधारण परिस्थितियां हैं, लेकिन नील कमल के अनुसार वह अपने बेटे की पढ़ाई और परवरिश को लेकर हरसंभव प्रयास करती हैं।
एचएमवी लाइसेंस देते समय अफसर भी हुए हैरान
नीलकमल ने बताया कि जब वह ड्राइविंग टेस्ट के लिए पहुंची तो एचएमवी (हेवी मोटर व्हीकल) वाली कतार में खड़ी हो गईं। ड्यूटी पर मौजूद अफसरों ने कहा कि 'आप एलएमवी (लाइट मोटर व्हीकल) की लाइन में लगो, यह आपके लिए नहीं है। लेकिन, वह कतार में लगी रहीं। जब अफसरों ने उन्हें दोबारा टोका तो जवाब दिया कि 'मैं एचएमवी बनाने ही आई हूं। उन्होंने पहली बार में ही ड्राइविंग टेस्ट की सारी बाधाएं पार कर लीं।
डेयरी भी चला रही नील कमल
नीलकमल ने बताया कि वह इसके अलावा एक डेयरी भी चला रहीं है, जिसमें 15 गायें हैं। नीलकमल का कहना है कि आज महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती हैं।
जहां पैदल चलने से लगता है डर, वहां ट्रक दौड़ाती है 25 साल की यह युवती
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर की 25 वर्षीय युवती पूनम नेगी पूनम कहती है कि पहली बार जब उसने स्टेरिंग पकड़ा था। तो कई लोग कई तरह के कमेंट करते थे। यहां तक कि परिवारों वालों को कहते थे कि लड़की है इसे क्यों ड्राइविंग सिखा रहे हो। यहीं नहीं अगर पूनम किसी से ट्रक चलाने को मांगती थी। तो भी कई चालक उसका मजाक उड़ाते थे। लेकिन पूनम जब ऐसे लोगों के सामने स्पीड से ट्रक या वाहन लेकर जाती थी तो उनके मुंह बंद हो जाते थे। पूनम के परिजनों ने कभी ड्राइविंग करने से नहीं रोका। पूनम के पिता बागबान है। लेकिन बेटी के शौक को पूरा करने के लिए एक कार खरीद दी। ताकि निपुण हो सके। पूनम की ताकत उसके परिवार के सदस्य है। जिन्होंने हमेशा प्रोत्साहित किया।
आराम से चलाती है ट्रक
तीन बहनों और दो भाईयों में सबसे बड़ी पूनम है। पूनम ने बताया कि वह 2011 से ड्राइविंग कर रही हैं। जमा दो के बाद कंप्यूटर में डिप्लोमा चंडीगढ़ से किया। अब ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं। उसके परिवार में माता-पिता के अलावा दो बहनें जान्हवीं और पूर्णिमा सुप्रिया है, जबकि दो भाई कुलभूषण और सत्या भूषण है। एक भाई आर्मी में है। पिता कबीर चंद बागवान है।
नहीं लगा कभी डर
पूनम ने बताया कि उंचाई और खतरनाक रास्तों से उसे डर नहीं लगता है। शुरुआत में लोग उसे रोकते थे। तरह-तरह के कमेंट करते थे कि लड़की है कैसे ट्रक चलाओगी। कभी ऐसे लोगों की मैंने नहीं सुनी। मेरी जिदद थी कि मुझे ट्रक चलाना है और वो जिद मैने पूरी कर ली।
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