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NSA वार्ता रद होने के बाद बीएसएफ-पाक रेंजर्स की बैठक भी अधर में

भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच रविवार की प्रस्तावित बैठक रद होने के बाद अब हाल फिलहाल शायद ही बातचीत की प्रक्रिया फिर से बहाल हो पाए। एक पखवाड़े बाद ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच होने वाली बैठक पर संशय के गहरे

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2015 12:22 AM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2015 11:16 AM (IST)
NSA वार्ता रद होने के बाद बीएसएफ-पाक रेंजर्स की बैठक भी अधर में

नई दिल्ली, [जयप्रकाश रंजन]। भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच रविवार की प्रस्तावित बैठक रद होने के बाद अब हाल फिलहाल शायद ही बातचीत की प्रक्रिया फिर से बहाल हो पाए। एक पखवाड़े बाद ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच होने वाली बैठक पर संशय के गहरे बादल छा गए हैं। पाकिस्तान के एनएसए सरताज अजीज ने रविवार को यह बैठक तय कार्यक्रम के मुताबिक होने की बात जरूर कही, लेकिन इस्लामाबाद के हालिया रुख को देखते हुए निश्चित तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। अजीज ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा कि सहमति बनने के बाद सैन्य अभियानों के महानिदेशक किसी भी समय और कहीं पर भी मिल सकते हैं।

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एनएसए वार्ता रद होने से अगले वर्ष इस्लामाबाद में होने वाले दक्षेस शिखर सम्मेलन पर भी सवालिया निशान लग गया है। पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया था। जानकारों की मानें तो दोनों देशों के बीच तनाव भरे रिश्तों को सामान्य बनाने की कोशिशों पर लंबे समय तक पर्दा गिरता दिख रहा है।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक उफा में दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच उच्चस्तरीय बातचीत का प्रस्ताव भारत की तरफ से भेजा गया था। मोदी सरकार ने एक वर्ष तक हर पहलू पर विचार-विमर्श के बाद पाक के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू करने की मंशा बनाई थी। अगर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक हो जाती तो दोनों देशों के बीच उच्च स्तर पर बातचीत का लंबा सिलसिला शुरू हो सकता था। सितंबर में बीएसएफ और पाक रेंजर्स के बीच बात होनी है। उसके तुरंत बाद सीमा प्रबंधन से जुड़ी एक अन्य बैठक की योजना थी। इसके बाद दक्षेस सम्मेलन का एजेंडा तय करने के लिए विदेश सचिवों और गृह सचिवों की भी बैठक नवंबर-दिसंबर तक होनी थी। इस तरह से लगातार दोनों देशों के अधिकारियों के बीच बातचीत का सिलसिला बनने वाला था। अगर जनवरी या फरवरी में दक्षेस शिखर सम्मेलन पर सहमति बन जाती तो प्रधानमंत्री मोदी का पाक जाना भी तय था। लेकिन एनएसए वार्ता के बाद इन सभी मुलाकातों और उच्चस्तरीय आदान-प्रदान की संभावनाओं पर पानी फिर गया है।

उफा में मोदी व शरीफ के बीच वार्ता के बाद 09 सितंबर से नई दिल्ली में पाक रेंजर्स और बीएसएफ के बीच चार दिनों की बातचीत को लेकर दोनों देश तैयार हुए थे। हालांकि एनएसए वार्ता की तरह से पाक इस वार्ता में भी अड़चन डालने लगा है। अभी तक वार्ता के एजेंडे पर भारत के प्रस्ताव का जवाब नहीं भेजा गया है। साथ ही सीमा पर तनाव बढ़ाने में भी वह कोई कसर नहीं छोड़ रहा। पाक ने पहले 17 अगस्त को एजेंडा देने की बात कही, फिर यह तिथि बढ़ा कर 20 अगस्त कर दी। लेकिन ताजी सूचना है कि अभी तक पाक रेंजर्स ने जवाब नहीं दिया है। इस बार स्वतंत्रता दिवस पर दोनों देशों ने एक-दूसरे को तोहफा देने की काफी पुरानी परंपरा का भी निर्वहन नहीं किया। यह पाकिस्तान की नीयत पर सवाल उठा रहा है।पाकिस्तान में ही है दाऊद

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