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अस्पताल में घोटाला: दवा मात्र 247 रुपये की, भुगतान 1,87,466 रुपये का

दवा 247 रुपये की, लेकिन अस्पताल ने भुगतान किया 1,87,466 रुपये का। कुछ इसी अंदाज में कड़कड़डूमा स्थित दिल्ली सरकार के अस्पताल डा.हेडगेवार आरोग्य संस्थान में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। फार्मासिस्ट व एक डाक्टर की वजह से इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। दिल्ली सरकार के परिवार कल्याण विभाग के सचिव के निर्देश पर इस

By Edited By: Published: Thu, 17 Jul 2014 08:31 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jul 2014 09:16 AM (IST)
अस्पताल में घोटाला: दवा मात्र 247 रुपये की, भुगतान 1,87,466 रुपये का

नई दिल्ली, [सुधीर कुमार]। दवा 247 रुपये की, लेकिन अस्पताल ने भुगतान किया 1,87,466 रुपये का। कुछ इसी अंदाज में कड़कड़डूमा स्थित दिल्ली सरकार के अस्पताल डा.हेडगेवार आरोग्य संस्थान में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। फार्मासिस्ट व एक डाक्टर की वजह से इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। दिल्ली सरकार के परिवार कल्याण विभाग के सचिव के निर्देश पर इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेश कालरा ने पूर्वी जिले के फर्श बाजार थाने में मामला दर्ज करवाया है। इस मामले में जहां दवा कंपनी की संलिप्तता है, वहीं अस्पताल के भी कई अधिकारियों की मिलीभगत का मामला सामने आ रहा है। बहरहाल, पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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डा. हेडगेवार अस्पताल में पेंशनभोगियों के लिए दिल्ली गवर्नमेंट एंप्लाइज हेल्थ सर्विसेज स्कीम के तहत जरूरत व मांग के हिसाब से दवा मंगवा कर दी जाती है। इस अस्पताल से 15 डिस्पेंसरियां जुड़ी हुई हैं। अस्पताल में इन दवाइयों की आपूर्ति मेसर्स श्री महालक्ष्मी मेडिकोज कंपनी करती है। गत 23 व 25 जून को डीलिंग सहायक मनोज कुमार चौहान, फार्मासिस्ट और डा.योगेश कुमार कटारिया ने एक नोट लिखा, जिसमें बताया कि दिसंबर-2013 व जनवरी-2014 के बिल में गड़बड़ी की गई है। इस जानकारी के मिलते ही सतर्कता विभाग व अन्य अधिकारियों की हाई लेवल कमेटी गठित की गई। इसके बाद कमेटी ने संबंधित दस्तावेज जब्त किए। अस्पताल प्रशासन को शुरुआती छानबीन में पता चला कि दवा खरीद की पूरी प्रक्रिया गड़बड़ियों से भरी हुई है। पूरे मामले की जानकारी स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को दी गई।

.तो फंसेंगे कई बड़े अधिकारी

सूत्रों का कहना है कि अब तक जांच में जितने रुपये के घोटाले का पता चला है वह सिर्फ बानगी भर है। जांच अभी सिर्फ दो महीने के बिल की हुई है, जबकि कंपनी लंबे समय से दवा की आपूर्ति कर रही है। अगर पूरे मामले की सही जांच की जाए तो कई बड़े अधिकारी फंसेंगे और रकम कई गुना अधिक होगी।

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