माया ने हरियाणा में अपना सीएम उम्मीदवार घोषित किया
बसपा सुप्रीमो मायावती ने साफ कर दिया है कि चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी अकेले दम पर ही लड़ेगी। ताजा लोकसभा चुनाव में खाता तक खोल पाने में नाकाम रहने के बावजूद उन्होंने हरियाणा में अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार का भी एलान कर दिया है। उत्तर प्रदेश के दलित-ब्राह्मण समीकरण को दुहराते हुए उन्होंने पूर्व कांग्रेस नेता अरविंद शर्मा को यहां अपना चेहरा बनाया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बसपा सुप्रीमो मायावती ने साफ कर दिया है कि चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी अकेले दम पर ही लड़ेगी। ताजा लोकसभा चुनाव में खाता तक खोल पाने में नाकाम रहने के बावजूद उन्होंने हरियाणा में अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार का भी एलान कर दिया है। उत्तर प्रदेश के दलित-ब्राह्मण समीकरण को दुहराते हुए उन्होंने पूर्व कांग्रेस नेता अरविंद शर्मा को यहां अपना चेहरा बनाया है।
आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बसपा प्रमुख ने रविवार को अपनी रणनीति का एलान किया। उन्होंने कहा कि इन चुनाव में वे किसी पार्टी के साथ मिल कर नहीं लड़ेंगी। महाराष्ट्र में राकांपा की ओर से गठबंधन के प्रस्ताव के बारे में उन्होंने दावा किया, 'शरद पवार ने बसपा नेता सतीशचंद्र मिश्रा के जरिये उन्हें संदेश दिया था। मैंने कह दिया था कि बातचीत करने में कोई हर्ज नहीं। लेकिन उन्हें स्पष्ट कर दीजिए कि कांग्रेस या राकांपा के साथ बसपा कोई गठबंधन करने वाली नहीं है।'
मायावती ने रविवार को हरियाणा में अपने दम पर सरकार बनाने का दावा भी किया। कांग्रेस के पूर्व सांसद अरविंद शर्मा को बसपा में शामिल करते हुए उन्होंने राज्य में उन्हें पार्टी का मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। बसपा प्रमुख ने कहा कि हरियाणा में एक वर्ग को छोड़ कर सभी उपेक्षित होते रहे हैं। राज्य के अधिकांश मुख्यमंत्री भी इसी वर्ग से आए हैं। इसलिए बसपा ने तय किया है कि इस बार बसपा दूसरे वर्ग के एक नेता को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाएगी।
उन्होंने दावा किया कि राज्य में बसपा की सरकार बनी तो उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार की तरह यहां भी सभी वर्गो के हित का ध्यान रखा जाएगा। अरविंद शर्मा 1996 से तीन बार सांसद रह चुके हैं। पहली बार वे सोनीपत से निर्दलीय चुनाव जीते थे। इसके बाद 2004 और 2009 में करनाल से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। हाल के चुनाव में भी वे कांग्रेस के ही टिकट पर चुनाव लड़े थे, मगर इस बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।