अपनों के बीच भावुक हुए मॉरीशस के राष्ट्रपति
पुनपुन प्रखंड का वाजितपुर गांव रविवार को उत्साह में झूम उठा। आसपास के गांवों के करीब पच्चीस हजार लोग सुबह ग्यारह बजे से गांव के तालाब के समीप मैदान में जुटे थे, अपनी माटी से जुड़े मॉरीशस के राष्ट्रपति राजकेश्वर प्रयाग के अभिनंदन को।
पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। पुनपुन प्रखंड का वाजितपुर गांव रविवार को उत्साह में झूम उठा। आसपास के गांवों के करीब पच्चीस हजार लोग सुबह ग्यारह बजे से गांव के तालाब के समीप मैदान में जुटे थे, अपनी माटी से जुड़े मॉरीशस के राष्ट्रपति राजकेश्वर प्रयाग के अभिनंदन को। लोगों का प्रेम देख राष्ट्रपति भी खुद पर काबू नहीं रख सके और भावुकता में उनकी आंखों से आंसू बह निकले। दरअसल, पच्चीस वर्षो की मशक्कत के बाद वे अपने मूल गांव का पता जानने में सफल हुए हैं। डेढ़ सौ वर्ष पहले वाजितपुर गांव से उनके परदादा मॉरीशस गए थे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपराह्न लगभग तीन बजे प्रयाग को लेकर मंच पर पहुंचे। साथ में राष्ट्रपति की पत्नी अनिता प्रयाग भी थीं। लोगों ने खड़े होकर जोरदार तालियों से उनका स्वागत किया। प्रयाग ने कहा कि मॉरीशस और बिहार का संबंध देश का नहीं, बल्कि भाई-भाई का है। हमारे पुरखे बिहार से अपना दिल लेकर मॉरीशस गए थे। राजकेश्वर प्रयाग ने अपना भाषण हिंदी में दिया। उन्होंने पहली ही लाइन में कहा-'मैं इस धरती को प्रणाम करता हूं। जैसे ही मैंने इस गांव में प्रवेश किया मैं भावुक हो गया।'
उन्होंने अपने गांव वालों से अपील की कि वे अपने बच्चों को पढ़ाएं। शिक्षा ही हमारे दुख को मिटाएगा। राजकेश्वर प्रयाग ने वाजितपुर गांव में एक हाई स्कूल का शिलान्यास भी किया। जाति-पांत पर भी अपनी बात कही और बोले इसे छोड़कर बिहार को आगे बढ़ाएं। बिहार के विकास की चर्चा करते हुए प्रयाग ने कहा कि इसकी खूब चर्चा हो रही है। बिहार सरकार का आभारी हूं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुझे मेरे पूर्वजों की मिंट्टी तक पहुंचाया। परदादा की भूमि पर मैंने पैर रख लिया यह मेरे लिए सर्वाधिक खुशी की बात है।
इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बड़ी बात है कि मॉरीशस के राष्ट्रपति अपने गांव आए हैं। अपने मूल को याद रखना बड़ी बात है। बिहार के लोग जहां भी गए अपने पुरुषार्थ से उन्होंने कमाल किया।
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