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भाजपा की टैली बढ़ी तो बाजार ने भी ली सांस

मुंबई शेयर बाजार का सूचकांक कारोबार के शुरुआत मे 500 अंकों का गोता जरुर लगा गया लेकिन बाद में जैसे जैसे दो बड़े राज्यों में भाजपा के सीटों की संख्या बढ़ी वैसे वैसे सूचकांक में भी सुधार आया।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 08:18 PM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 08:18 PM (IST)
भाजपा की टैली बढ़ी तो बाजार ने भी ली सांस
भाजपा की टैली बढ़ी तो बाजार ने भी ली सांस

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव में भाजपा को भले ही कोई सफलता हासिल नहीं हुई हो लेकिन राजस्थान और मध्य प्रदेश में जिस तरह से पार्टी ने बड़ी हार को टाला है उससे शेयर बाजार ने भी राहत की सांस ली है। यही वजह है कि आरबीआइ गवर्नर ऊर्जित पटेल के इस्तीफा देने के बावजूद देश के शेयर बाजार में मंगलवार को वैसी अफरा-तफरी नहीं मची जिसके कयास लगाये जा रहे थे। मुंबई शेयर बाजार का सूचकांक कारोबार के शुरुआत मे 500 अंकों का गोता जरुर लगा गया लेकिन बाद में जैसे जैसे दो बड़े राज्यों में भाजपा के सीटों की संख्या बढ़ी वैसे वैसे सूचकांक में भी सुधार आया।

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बाजार के बंद होने के समय यह 190 अंकों की उछाल के साथ 35,151 अंकों पर पहुंच चुका था। निफ्टी भी 61 अंकों की बढ़ोतरी के साथ 10,549 के स्तर पर पहुंच गया। शेयर बाजार के इस रवैये के पीछे एक वजह सोमवार को सेंसेक्स में 714 अंकों की जोरदार गिरावट को भी वजह माना जा रहा है। शेयर बाजार के जानकारों का कहना है कि शेयर बाजार पहले ही मान कर चल रहा था कि भाजपा तीन राज्यों में हार जाएगी। इसलिए दो बड़े राज्यों में कांटे की टक्कर ने बाजार को थोड़ी राहत दी।

विशेषज्ञों के मुताबिक नतीजे बता रहे हैं कि जनता में भाजपा के प्रति बहुत ज्यादा गुस्सा नहीं है। इस वजह से ही बाजार ने आरबीआइ गवर्नर के इस्तीफे के असर को भी नजरअंदाज कर दिया। हालांकि जानकारों का सुझाव है कि आम निवेशकों को अभी कुछ दिनों तक शेयर बाजार में नए निवेश से दूर ही रहना चाहिए। ब्रेक्जिट को लेकर जारी अनिश्चितता और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर आ रही कुछ नकारात्मक खबरों के साथ देश के भीतर राजनीतिक घमासान के बढ़ने के आसार को देखते हुए बाजार में भारी अस्थिरता का दौर देखना पड़ सकता है।

देश के मुद्रा बाजार पर भी चुनावी अस्थिरता का असर रहा। कारोबार के शुरुआत में ही डॉलर के मुकाबले रुपया 110 पैसे कमजोर हो गया था। रुपये ने पिछले 25 दिनों में जो बढ़त बनाई थी वह एक दिन में ही गायब हो गई। सोमवार को यह डॉलर के मुकाबले 71.42 के स्तर पर बंद हुआ था लेकिन मंगलवार को एक समय यह 72.50 के स्तर से भी नीचे चला गया था। लेकिन बाद में रुपये ने भी अपनी स्थिति संभाली और बाजार के बंद होने के समय यह 71.85 के स्तर पर था। मुद्रा बाजार के विशेषज्ञों ने भी अपनी टिप्पणी में कहा कि यह हालात इस हफ्ते बनी रहेगी इस बारे में स्पष्टता से कुछ नहीं कहा जा सकता।

शेयर बाजार और मुद्रा बाजार की इस आशंका की एक वजह यह है कि आरबीआइ गवर्नर के इस्तीफे को लेकर निवेशक समुदाय को बहुत अच्छे संकेत नहीं गये हैं। भारत की रेटिंग को लेकर हाल के दिनों में कई बार टिप्पणी कर चुकी अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे से भारत में निवेश जोखिम का स्तर बढ़ने का खतरा है। पटेल के इस्तीफे को फिच ने देश की वित्तीय स्थिरता और अर्थव्यवस्था के आधारभूत तत्वों से जोड़ कर देखा है। साथ ही यह भारत की मौद्रिक स्थिति को लेकर भी एक अनिश्चित माहौल बनाता है। फिच की यह टिप्पणी बेहद महत्वपूर्ण है।


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