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    विधवा को मंदिर में प्रवेश करने से रोकने पर मद्रास HC ने जताई चिंता, कोर्ट ने कहा- ऐसी हठधर्मिता बर्दाश्त नहीं

    By Piyush KumarEdited By: Piyush Kumar
    Updated: Sun, 06 Aug 2023 12:10 AM (IST)

    किसी विधवा को मंदिर में प्रवेश से रोकने पर मद्रास हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि कानून द्वारा शासित सभ्य समाज में किसी विधवा को मंदिर में प्रवेश से रोकने जैसी हठधर्मिता नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा कि यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी विधवा महिला के प्रवेश करने से मंदिर अपवित्र होने जैसी पुरानी मान्यताएं राज्य में बरकरार हैं।

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    कानून द्वारा शासित सभ्य समाज में किसी विधवा को मंदिर में प्रवेश से रोकना सही नहीं: मद्रास हाई कोर्ट

    चेन्नई, पीटीआई। मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि कानून द्वारा शासित सभ्य समाज में किसी विधवा को मंदिर में प्रवेश से रोकने जैसी 'हठधर्मिता' नहीं हो सकती। अदालत ने स्पष्ट किया कि एक महिला की अपनी व्यक्तिगत पहचान होती है। उसकी वैवाहिक स्थिति के आधार पर इस पहचान को किसी तरह से कम नहीं किया जा सकता या छीना नहीं जा सकता है।

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    विधवा महिला को मंदिर में प्रवेश करने से रोकना दुर्भाग्यपूर्ण: कोर्ट

    यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी विधवा महिला के प्रवेश करने से मंदिर अपवित्र होने जैसी पुरानी मान्यताएं राज्य में बरकरार हैं। जस्टिस एन. आनंद वेंकटेश ने थंगमणि द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए अपने आदेश में यह टिप्पणी की। थंगमणि ने इरोड जिले के पेरियाकरुपरायण मंदिर में प्रवेश के लिए उन्हें और उनके बेटे को सुरक्षा प्रदान करने की खातिर पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया था।

    मंदिर के पुजारी हुआ करते थे थंगमणि के पति

    थंगमणि के पति इस मंदिर के पुजारी हुआ करते थे। तमिल 'आदि' महीने के दौरान मंदिर समिति ने नौ और 10 अगस्त, 2023 को एक उत्सव आयोजित करने का निर्णय लिया। थंगमणि और उनका बेटा इस उत्सव में भाग लेना और पूजा करना चाहते हैं। आरोप है कि दो व्यक्तियों- अयावु और मुरली ने उन्हें (महिला को) यह कहते हुए धमकी दी थी कि उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह एक विधवा हैं।

    भगवान की पूजा करने से विधवा महिला को न रोका जाए: कोर्ट

    इसके बाद महिला ने पुलिस सुरक्षा देने के लिए अधिकारियों को एक ज्ञापन दिया और जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया। हाई कोर्ट ने कहा कि अयावु और मुरली को थंगमणि तथा उनके बेटे को मंदिर महोत्सव में शामिल होने एवं भगवान की पूजा करने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है।