माओवादियों ने हर दो दिनों में की एक नागरिक की हत्या...!
कुल मिलाकर नक्सलियों ने 30 अप्रैल, 2017 तक 62 नागरिकों की हत्याएं कीं। इनमें से कम से कम 30 लोगों को कंगारू अदालतों द्वारा त्वरित सजा सुनाई गई थी।
नई दिल्ली, जेएनएन। माओवादियों द्वारा सुरक्षाबलों पर हमला करने की खबरें आती रहती हैं। पिछले दिनों ही छत्तीसगढ़ के सुकमा में माओवादियों और सुरक्षाबलों के बीच खूनी जंग हुई, जिसमें कई जानें गईं। लेकिन आपको यह आंकड़ा जान हैरानी होगी कि माओवादी इस साल हर दो दिनों में एक नागरिक को मौत के घाट उतर चुके हैं। इनमें से ज्यादातर वे आदिवासी थे, जिनकी 'पुलिस का खबरी' होने के शक में हत्या कर दी है।
छत्तीसगढ़ के कुछ मामलों में माओवादियों के बारे में चौंकानेवाली बात ये सामने आई है कि लोगों को मौत के घाट उतारने से पहले वे उन्हें वैसे ही यातनाएं देते हैं, जैसे आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट देता है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, बिहार, झारखंड और ओडिशा में कम से कम 21 घटनाओं में माओवादियों ने स्थानीय ठेकेदारों के कार्यालयों को ब्लास्ट कर दिया और उनके कर्मचारियों को निशाना बनाया। जिन जिलों में सबसे ज्यादा नागरिक हत्याओं की सूचना मिलीं, उनमें सुक्मा (8), नारायणपुर और गडचिरोली (7), कांकेर और मल्कानगिरी (5) और चतर (4) शामिल हैं।
कुल मिलाकर नक्सलियों ने 30 अप्रैल, 2017 तक 62 नागरिकों की हत्याएं कीं। इनमें से कम से कम 30 लोगों को नक्सलियों द्वारा चलाई जाने वाली 'जनताना सरकार' या कंगारू अदालतों द्वारा त्वरित सजा सुनाई गई थी। बीता अप्रैल खूनी महीना साबित हुआ, जिसमें 21 हत्याएं हुईं, इससे पहले फरवरी में 16, जनवरी में 13 और मार्च में 12 नागरिकों को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया।
अप्रैल महीने में ही सीआरपीएफ के 25 जवान सुकमा में एक माओवादी हमले में शहीद थे। एक हैरान करने वाली जानकारी ये भी समाने आई है कि माओवादी कई लोगों की हत्याएं अपनी आपसी रंजिश, पुराने झगड़े या किसी साधारण विवाद के कारण भी कर रहे हैं।
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