खेल जगत की इन हस्तियों ने भी पहनी है सेना की वर्दी, धौनी ने तो यूनिट के साथ की है पैट्रोलिंग
कारगिल दिवस के मौके पर हम आपको उन खिलाडि़यों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने सेना की तरफ से मानद उपाधि दी गई। केप्टन कूल के नाम से मशहूर धौनी ने तो यूनिट के साथ पैट्रोलिंग भी की है।
नई दिल्ली (आरती तिवारी)। कारगिल विजय दिवस हर भारतीय को भर देता है देशभक्ति की भावना से। खेल जगत के कई सितारे भी पा चुके हैं सेना में मानद उपाधि। युवाओंं को सेना से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही ये जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाने में भी अव्वल हैं...
हमारे देश में राष्ट्रसेवा और क्रिकेट दोनों को ही धर्म सरीखा माना जाता है। देशभक्ति की इस भावना का सीधा जुड़ाव है कारगिल विजय दिवस को लेकर भी। सेना के जवानों का हौसला हर भारतीय मन को जोश से भर देता है। उनके साथ कंधों से कंधा मिलाने का ऐसा ही ख्वाब हमारे खिलाड़ी भी देखते हैं। अपने इस ख्वाब को साकार करने के लिए ही तो टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने जुलाई 2019 में कुछ दिनों तक क्रिकेट से छुट्टी लेकर पैरा बटालियन में तैनात होने और पैट्रोलिंग आदि करने का फैसला लिया था। यह यूं ही नहीं हुआ। दरअसल कैप्टन कूल धौनी ने आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि के साथ यह जिम्मेदारी निभाई थी। ऐसे कई खिलाड़ी हैं जिनके पास टेरिटोरियल आर्मी व एयरफोर्स की मानद उपाधि है।
जब वर्दी में पहुंचे माही
लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र सिंह धौनी ने टेरिटोरियल आर्मी की पैरा बटालियन में 31 जुलाई 2019 से 15 अगस्त 2019 तक रेजीमेंट में ड्यूटी की। उनकी यूनिट कश्मीर में विक्टर फोर्स के तहत मौजूद थी। धौनी इस पूरी समयावधि में ट्रूप्स के साथ रहे और उन्होंने पैट्रोलिंग, गार्ड और पोस्ट ड्यूटी की। धौनी 2015 में क्वालिफाइड पैराट्रूपर बन चुके हैं। वे आगरा स्थित ट्रेनिंग कैंप में ट्रेनिंग के दौरान आर्मी के विमान से पांच बार पैराशूट के साथ कूद लगा चुके हैं। 2011 में आर्मी की ओर से मानद उपाधि से सम्मानित धौनी अक्सर आर्मी यूनिफॉर्म में नजर आ जाते हैं। अप्रैल 2018 में जब धौनी को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया तो वे इस सम्मान को लेने आर्मी की यूनिफॉर्म पहने परेड करते हुए राष्ट्रपति कोविंद के समक्ष पहुंचे थे।
आर्मी प्रिंट के दीवाने हैं धौनी
सिर्फ सम्मान लेने ही नहीं बल्कि कई मौकों पर धौनी आर्मी के प्रति अपना प्यार और सम्मान दिखाते रहते हैं। धौनी के बैग, मोबाइल कवर, बाइक और टीशर्ट तक में आर्मी प्रिंट नजर आ जाता है। कई मौके पर वे क्रिकेट मैदान में भी पूरी भारतीय टीम के साथ आर्मी कैप पहने नजर आ चुके हैं। इसके अलावा विश्वकप 2019 में धौनी विकेटकीपिंग के दौरान पहने जाने वाले ग्लव्स पर पैरा स्पेशल फोर्स का निशान बलिदान बैज प्रिंट किए हुए भी नजर आए थे। धौनी देश के प्रति कितने समर्पित हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक मैच खत्म होने के बाद अचानक मैदान में आए फैन के हाथ से गिरता तिरंगा धौनी ने यूं लपक लिया था जैसे वे विकेट से छूकर आई गेंद लपक लेते हैं। उनका कहना है कि ‘यह मेरे लिए वाकई सम्मान की बात है। मैं हमेशा से भारतीय सेना में आना चाहता था। जब भारतीय सेना में मुझे ज्वॉइन करने और इसकी ऑलिव ग्रीन रंग की वर्दी पहनने का मौका मिला तो मुझे लगा कि मेरे बचपन का सपना अब जाकर पूरा हो रहा है।’
ग्रुप कैप्टन हैं क्रिकेट के भगवान
ऐसा नहीं कि सिर्फ लेफ्टिनेंट कर्नल धौनी ही देश की सेना के प्रति इतना लगाव रखते हैं। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी इस लिस्ट में शुमार हैं। धौनी जहां टेरिटोरियल आर्मी के जवान हैं तो वहीं सचिन इंडियन एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन हैं। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और सातवीं सबसे मजबूत वायु सेना ने सितंबर 2010 में भारतीय वायु सेना के 86वें स्थापना दिवस के मौके पर सचिन तेंदुलकर को ग्रुप कैप्टन की मानद उपाधि से सम्मानित किया था। सचिन पहले ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हें भारतीय वायु सेना की तरफ से यह सम्मान दिया गया था। वायु सेना के कई बड़े आयोजनों में सचिन तेंदुलकर वायु सेना की यूनिफॉर्म में ही शामिल होते हैं।
जिदंगी में भी ऑलराउंडर
क्रिकेट जगत के महान ऑलराउंडर कपिल देव असल जीवन में भी ऑलराउंडर हैं। 1983 में अपनी कप्तानी में भारत को पहला विश्वकप दिलाने वाले कपिल को वर्ष 2008 में भारतीय टेरिटोरियल आर्मी ने लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि दी थी। वे पहले क्रिकेटर थे जिन्हें यह सम्मानित उपाधि मिली थी। तो वहीं ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को नवंबर 2011 में आर्मी की मानद उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है।
हासिल की अलग ऊंचाई
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम शिखर पर ले जाने का सपना संजोने वालीं बैडमिंटन प्लेयर साइना नेहवाल भी अपने अंदाज में खेल के अलावा देश की आर्मी के जोश और जुनून का स्वाद चख चुकी हैं। बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल सितंबर 2012 में भारतीय वायुसेना के जेट विमान में उड़ान भरकर अलग ऊंचाई हासिल कर चुकी हैं। भारतीय स्टार शटलर साइना ने ग्रुप कैप्टन नागेश कपूर के साथ किरण एमके-11 जेट का हैदराबाद के बाहरी इलाके में 22 मिनट तक सह-संचालन किया था। इसके अलावा बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधू फरवरी 2019 में एयरो इंडिया शो में स्वदेश निर्मित लड़ाकू विमान तेजस से उड़ान भरकर अपनी उपलब्धियों में यह कीर्तिमान जोड़ चुकी हैं। मुख्य पायलट कैप्टन सिद्धार्थ के साथ सिंधू ने 40 मिनट तक आसमान का चक्कर लगाया था।
जज्बा देश की बेटी का
महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप में बेहतरीन ऑलराउंडर के रूप में उभरीं शिखा पांडे 22 साल की उम्र में फ्लाइट लेफ्टिनेंट और 28 साल की उम्र में एयरफोर्स की पहली महिला क्रिकेटर बन चुकी हैं। भारतीय वायुसेना में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर शिखा को 30 जून 2012 को भारतीय वायुसेना में बतौर फ्लाइट लेफ्टिनेंट कमीशन किया गया था।
ये भी दे चुके हैं सेवाएं
भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान केसी नायडू 1923 में होल्कर राजा के न्योते पर इंदौर पहुंचे थे। होल्कर के राजा ने उन्हें अपनी सेना में कर्नल का पद दिया था। इसके अलावा चंद्रशेखर गडकरी, नारायण स्वामी, रमन सुरेंद्रनाथ और अपूर्व सेनगुप्ता ने भी सेना और क्रिकेट दोनों जगह सेवाएं दी हैं। टेरिटोरियल आर्मी की यूनिट वर्ष 1962, वर्ष 1965 और वर्ष 1971 के ऑपरेशन में सक्रिय थी।
ऐसे मिलती है यह वर्दी
प्रादेशिक सेना यानी टेरिटोरियल आर्मी स्वैच्छिक अंशकालिक नागरिक सेवा है। यह भारतीय आम नागरिकों के लिए सेना को शौकिया अपनाने का जरिया है। यह प्रोफेशन या स्थायी नौकरी का स्रोत नहीं है। हालांकि युद्ध में तैनाती के लिए इसका उपयोग हो सकता है। समाज के हर क्षेत्र से इच्छुक, अनुशासित व समर्पित नागरिकों को लेकर कम लागत वाली इस सेना की तैयारी होती है। प्रादेशिक सेना में शामिल होने वाले नागरिकों को थोड़े समय के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण मिलता है, ताकि वे सक्षम सैनिक बन सकें। यहां सबसे पहले प्रीलिमिनरी इंटरव्यू होता है जहां कैंडिडेट अपना संक्षिप्त ब्यौरा देते हैं। फिर उम्मीदवार को सर्विस सलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) व मेडिकल पास करना होता है। फिर आर्मी ट्रेनिंग के बाद कैंडिडेट इस सेना का जवान बन जाता है।