कई विदेशी कंपनियां राजमार्गों पर टोल वसूली की इच्छुक, मिल सकते हैं 2700 करोड़ रुपये
योजना के पहले चरण के तहत 680 किलोमीटर कुल लंबाई वाली 9 परियोजनाओं की पहचान एनएचएआइ ने की है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राजमार्ग मौद्रीकरण योजना के तहत लगभग एक दर्जन विदेशी कंपनियों ने टोल वसूलने में रुचि दिखाई है। योजना के तहत 9 सड़क परियोजनाओं पर टोल वसूली के ठेके देने की निविदाएं फरवरी में खोली जाएंगी।
विदेशी कंपनियों को पुरानी सड़क परियोजनाओं के ठेके देकर उनसे नई परियोजनाओं के लिए अग्रिम तौर पर एकमुश्त रकम जुटाने की राजमार्ग मौद्रीकरण योजना को सरकार ने अगस्त, 2016 में मंजूरी दी थी।
इसके तहत सरकार ने कुल 4500 किलोमीटर लंबाई वाली ऐसी 75 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की पहचान की है जिनका निर्माण पूरी तरह सरकार के पैसों से हुआ है। सरकार को उम्मीद है कि यदि इन परियोजनाओं पर टोल वसूलने के ठेके विदेशी कंपनियों को दे दिए जाएं तो इससे उसे लगभग 2700 करोड़ रुपये की एकमुश्त रकम प्राप्त हो जाएगी। इस राशि का उपयोग नए राजमार्गों के निर्माण में किया जा सकेगा। अभी सार्वजनिक निवेश वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल वसूली का जिम्मा एनएचएआइ के पास है जो इसके लिए देशी ठेकेदारों को अनुबंधित करती है। लेकिन इनसे उसे कोई अग्रिम राशि प्राप्त नहीं होती।
राजमार्ग मौद्रीकरण योजना के तहत टोल-आपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) मॉडल का उपयोग किया जाएगा। जिसके तहत विदेशी कंपनियों को एक निश्चित अवधि तक टोल वसूलने और अपना मुनाफा निकालने के बाद सड़क वापस एनएचएआइ को सौंपनी होगी।
योजना के पहले चरण के तहत 680 किलोमीटर कुल लंबाई वाली 9 परियोजनाओं की पहचान एनएचएआइ ने की है। इन पर टोल वसूली की इच्छुक कंपनियों की तलाश के लिए सरकार ने मुंबई, दुबई और सिंगापुर में कार्यशालाओं का आयोजन किया था। इनमें लगभग एक दर्जन कंपनियों ने योजना में रुचि दिखाई। इनमें अबू धाबी इंवेस्टमेंट अथारिटी, हेस्टिंग्ज इंफ्रास्ट्रक्चर, जीआइसी, केप्पेल इंफ्रास्ट्रक्चर, फंड मैनेजमेंट, टेमसेक, मिजुहो एशिया इंफ्रा कैपिटल, मैक्वैरी, मॉर्र्गन स्टेनले इंफ्रास्ट्रक्चर, एक्विरस कैपिटल, आइ स्क्वैर्ड कैपिटल, जेपी मार्गन असेट मैनेजमेंट के नाम शामिल हैं।
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